2015 में शरीफ ने कहा था कि भारत में कुछ कट्टरपंथी पाकिस्तान के साथ अच्छे रिश्ते नहीं चाहते हैं। तब शरीफ ने आरएसएस का नाम लिया था। शरीफ ने यह भी आरोप लगाया था कि भारत बलूचिस्तान में अलगाववादियों का समर्थन करता है। तब शरीफ ने यह भी कहा था कि दोनों देशों को ब्लेम गेम बंद करके रिश्ते सुधारने पर काम करना चाहिए।
अब शहबाज शरीफ पाकिस्तान के नए प्रधानमंत्री बन चुके हैं। दूसरी तरफ इमरान खान के समर्थन में पाकिस्तान के कई शहरों में प्रदर्शन हो रहा है। इस्लामाबाद, कराची, पेशावर, मुल्तान, क्वेटा में इमरान विरोधियों के खिलाफ जबरदस्त नारेबाजी चल रही है।
2015 मे शरीफ ने यह भी कहा था कि दोनों देशों को ब्लेम गेम बंद करके रिश्ते सुधारने पर काम करना चाहिए।
अविश्वास प्रस्ताव के जरिए इमरान खान की सरकार गिराने के बाद भी शहबाज ने भारत को लेकर बयान दिया था। कहा था, ‘हम भारत के साथ शांति चाहते हैं, लेकिन कश्मीर मुद्दे के हल के बिना ये संभव नहीं है।’शहबाज ने भारत और कश्मीर को लेकर कई बार विवादित बयान दिया है। अप्रैल 2018 में जब पाकिस्तान में चुनाव चल रहे थे, तब शहबाज ने एक रैली में कहा था, ‘हमारा खून खौल रहा है। कश्मीर को हम पाकिस्तान का हिस्सा बनाकर रहेंगे।’
शहबाज शरीफ 2013 में भारत दौरे पर आए थे। उस वक्त मनमोहन सिंह भारत के प्रधानमंत्री थे। उस दौरान शहबाज पाकिस्तान के पंजाब प्रांत के मुख्यमंत्री थे। प्रधानमंत्री से मुलाकात के बाद शहबाज ने साथ मिलकर काम करने की बात कही थी।
शहबाज ने एक रैली में कहा था, ‘हमारा खून खौल रहा है। कश्मीर को हम पाकिस्तान का हिस्सा बनाकर रहेंगे।’
2018 में सिंगापुर में उन्होंने अमेरिकी राष्ट्रपति और उत्तर कोरिया के तानाशाह किम जोंग उन की मुलाकात पर प्रतिक्रिया देते हुए भारत का जिक्र किया था। उन्होंने कहा था, ‘अगर अमेरिका और उत्तर कोरिया परमाणु हमले की कगार से वापस लौट सकते हैं तो ऐसा कोई कारण नहीं है कि भारत और पाकिस्तान ऐसा नहीं कर सकते।’ फरवरी 2014 में शरीफ ने कहा था, ‘भारत और पाकिस्तान के बीच व्यापार संबंधों के बीच सबसे बड़ा रोड़ा दोनों देशों की सुरक्षा एजेंसियां हैं। जब तक दोनों देशों के बीच आर्थिक सुरक्षा नहीं होगी, तब तक आम सुरक्षा संभव नहीं है।’
भारत और पाकिस्तान के बीच व्यापार संबंधों के बीच सबसे बड़ा रोड़ा दोनों देशों की सुरक्षा एजेंसियां हैं.
2017 में भी उन्होंने भारत के पंजाब के मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह को एक चिट्ठी लिखी थी। इसमें उन्होंने पंजाब में धुंध की समस्या को उठाया था। कहा था कि दोनों देशों की पंजाब सरकार को मिलकर इसके लिए काम करना चाहिए।इमरान खान के आने के बाद से भारत और पाकिस्तान के रिश्ते और भी तल्ख हो गए थे। शहबाज के आने के बाद कम से कम बातचीत का रास्ता खुल सकता है। हालांकि, दोनों देशों के रिश्तों पर कोई खास प्रभाव पड़ने की उम्मीद नहीं है।
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