इस्लामाबाद, बिजनौर जिले का एक गांव है और बरहापुर विधान सभा क्षेत्र के अंतर्गत आता है, जहां 14 फरवरी को मतदान होगा. पड़ोसी देश पाकिस्तान की राजधानी से मिलता-जुलता ‘इस्लामाबाद’ नाम का गांव बिजनौर जिला मुख्यालय से करीब 40 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है.
यहां लगभग दस हजार की आबादी निवास करती है. आजादी के करीब 75 वर्ष बाद भी इस्लामाबाद नाम यहां के लोगों को असहज नहीं करता है. यहां के लोग अपने गांव का नाम खुशी-खुशी लेते हैं और इस पर नाज करते हैं|
इस्लामाबाद नाम पड़ने की वजह नहीं आई सामने
इस्लामाबाद गांव के बारे में विस्तार से बताते हुए गांव की प्रधान सर्वेश देवी के पति विजेंद्र सिंह ने कहा, ‘मुझे नहीं पता कि इस गांव का नाम इस्लामाबाद कैसे पड़ा, लेकिन मैं यह नाम बचपन से सुन रहा हूं और यही नाम मेरे परदादा के जमाने से प्रचलित है’|
गांव की आबादी है 10 हजार
उन्होंने कहा कि गांव जिला मुख्यालय से लगभग 40 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है और इसकी आबादी 10,000 है जिनमें से 4700 मतदाता हैं. सिंह ने यह भी बताया कि गांव के बुजुर्गों ने कभी गांव का नाम बदलने के बारे में नहीं सोचा था और न ही इस संबंध में कभी कोई आवेदन दिया गया|
गांव में मुसलमानों की 300 से 400 है आबादी
ग्राम प्रधान सर्वेश देवी (46) ने यह भी कहा कि गांव के जो युवा जिला मुख्यालय या किसी अन्य स्थान पर काम के लिए जाते हैं, उन्हें कभी भी गांव के नाम को लेकर किसी तरह की परेशानी का सामना नहीं करना पड़ा. गांव में रहने वाली आबादी पर प्रकाश डालते हुए प्रधान ने कहा, ‘गांव में चौहान, प्रजापति और मुस्लिम रहते हैं और सभी लोग शांति से रहते हैं. गांव में मुसलमानों की आबादी 300-400 की है’. उन्होंने कहा कि गांव के लोग गन्ना, गेहूं, धान और मूंगफली सहित अन्य फसलें उगाते हैं|
गांव के लोग तीन कृषि कानूनों के विरोध में हुए थे शामिल
सिंह, जो भारतीय किसान यूनियन (टिकैत) के पदाधिकारी भी हैं, ने कहा कि तीन कृषि कानूनों के विरोध में यहां के लोग विरोध करने प्रदर्शन में गए थे और विरोध करने वाले किसानों को समर्थन दिया. यह पूछे जाने पर कि चुनाव किस दिशा में जाएगा, उन्होंने कहा कि यहां चुनाव में मुकाबला भाजपा, सपा और बसपा के बीच है. सिंह ने जोर देकर कहा कि गांव के लोग विकास के लिए वोट करेंगे. उन्होंने कहा कि मुख्य सड़कों की हालत ठीक है, लेकिन गांव के अंदर कच्चे रास्ते हैं उन्हें पक्का बनाने की जरूरत है. उन्होंने गांव में लड़कियों की पढ़ाई के लिए इंटर कॉलेज की आवश्यकता बताई. हालांकि, यह भी कहा कि इसके लिए हमें किसी से कोई आश्वासन नहीं मिला है|
इस्लामाबाद के नाम पर लोगों में नहीं है हीन भावना
इस्लामाबाद गांव के ही रहने वाले एक अधिवक्ता 28 वर्षीय आदित्य प्रजापति ने कहा, ‘हमने कभी भी ‘इस्लामाबाद’ के नाम के बारे में अपने दिमाग में किसी भी तरह की हीन भावना नहीं आने दी और न ही ऐसा कुछ सोचा. हां, ऐसे कुछ उदाहरण हैं, जब लोगों ने विस्मय के अंदाज में पूछा, ‘अरे तुम पाकिस्तान से हो? लेकिन बात इससे आगे नहीं बढ़ी। गांव के जो युवक काम के लिए बाहर जाते हैं और अपनी जीविका कमाते हैं, उन्हें कभी कोई परेशानी नहीं हुई’|
गांव का नाम बदलने पर नहीं है चर्चा
यह पूछे जाने पर कि क्या गांव के युवाओं ने कभी जिला प्रशासन को गांव का नाम बदलने के लिए कोई ज्ञापन देने के बारे में सोचा है, उन्होंने कहा, ‘यह हमारे लिए कभी चर्चा का विषय नहीं रहा और न ही यह हमारे लिए कोई चुनावी मुद्दा है’. तीस वर्षीय ऑनलाइन व्यापारी और गांव के निवासी मोहम्मद सलमान ने कहा, ‘हमारी पिछली कई पीढ़ियों से इस गांव में रह रही है’. उन्होंने यह भी कहा कि इस्लामाबाद गांव उनके दिल के “बहुत करीब” है, और गांव के सभी निवासी “बहुत सकारात्मक तरीके से” इसका नाम लेते हैं|
नाम बदलने को लेकर बोले विधायक- चुनाव के बाद होगा तय
भाजपा के मौजूदा विधायक और बरहापुर विधानसभा क्षेत्र से पार्टी के उम्मीदवार कुंवर सुशांत कुमार सिंह ने बताया कि गांव के नाम को लेकर कोई समस्या नहीं है. नाम बदलने की संभावना के बारे में पूछे जाने पर उन्होंने कहा, ‘इस संबंध में कुछ भी चुनाव के बाद किया जाएगा’ बरहापुर से सपा प्रत्याशी कपिल कुमार ने कहा, ‘इस्लामाबाद के नाम से कभी डर और चिंता की भावना पैदा नहीं हुई और न ही कोई हीन भावना पैदा हुई है. गांव के लोगों ने भी कभी इस नाम को बदलने की मांग नहीं की’ उन्होंने कहा कि गांव के नाम में कोई समस्या नहीं है. यह नाम आजादी के पहले से है|
राज्य में इन इलाकों के बदल चुके हैं नाम
बता दें कि उत्तर प्रदेश में विधान सभा चुनाव सात चरणों में 10 फरवरी से 7 मार्च के बीच होंगे और नतीजे 10 मार्च को घोषित किए जाएंगे. उल्लेखनीय है कि उत्तर प्रदेश में योगी आदित्यनाथ के नेतृत्व में 2017 में भारतीय जनता पार्टी की सरकार बनने के बाद इलाहाबाद का नाम बदलकर प्रयागराज, फैजाबाद का नाम बदलकर अयोध्या और मुगलसराय रेलवे स्टेशन का नाम बदलकर दीनदयाल उपाध्याय नगर कर दिया गया. कई शहरों का नाम बदलने के लिए क्षेत्रीय विधायकों और नागरिकों ने अर्जी भी लगाई है|
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