उत्तर प्रदेश चुनाव युवाओं में भी कुतुहल का विषय बना हुआ है। कई युवा संतुष्ट है और कई असंतुष्ट । युवाओं ने प्रखरता से चुनावी मुद्दों पर बात की। कई सामाजिक, क्षेत्रीय और देश की समस्याओं को उठाया। कोरोना को देखते हुए सभी छात्रों ने कहा कि ऑनलाइन के साथ ऑफलाइन क्लास भी चलनी चाहिए। युवाओं ने कहा कि ओमिक्रॉन के बढ़ते मामलों को देखते हुए चुनावों को टाल देना चाहिए।कुछ युवाओं ने रोजगार और मॉब लिंचिंग जैसे मुद्दों पर सरकार पर सवाल उठाए।
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रोजगार को लेकर सरकार ने कैसा काम किया है?
इस सवाल के जवाब में ज्यदातर युवाओं ने माना कि सरकार ने इस क्षेत्र में अच्छा काम नहीं किया है। हालांकि, कुछ युवाओं ने कहा कि फिल्म सिटी बनने जैसे कई काम हैं जिनसे भविष्य में काफी रोजगार के मौके उपलब्ध होंगे। एक छात्रा ने कहा कि रोजगार को लेकर कुछ चीजें बेहतर हुई हैं, लेकिन कुछ चीजों में सुधार की जरूरत है। सरकार बहुत से ऐसे काम कर रही है जिससे आने वाले समय में रोजगार बढ़ेगा। कोरोना के दौर में सरकार की तुलना में आम लोगों और धार्मिक संगठनों ने ज्यादा बेहतर काम किया।
सरकार के पास नहीं नौकरियों के आंकड़े
एक इंटर्न ने बताया कि राजनीतिक दल लोगों के बारे में नहीं सोचते हैं। उन्हें सिर्फ चुनाव और उसे जीतने से मतलब होता है। सरकार दावा करती है कि हमने साढ़े चार साल में साढ़े चार लाख नौकरियां दीं, लेकिन जब कोई पूछता है कि आपने 2017 से अब तक किस विभाग में कितनी नौकरियां दी तो सरकार के पास आंकड़े नहीं होते हैं।
पेपर लीक पर क्या बोले युवा?
कुछ युवाओं का कहना था कि इतनी आसानी से पेपर लीक नहीं होने चाहिए। ये सिस्टम की गलती है। उन्होंने कहा कि ब्यूरोक्रेसी को मजबूत करके इस तरह के लीक का समाधान निकाला जा सकता है। जिस तरह केस आए दिन आते हैं उससे लड़कियां खुद को सुरक्षित महसूस नहीं करती हैं। जो बच्चे बाहर से पढ़ने आते हैं उन्हें छेड़छाड़ का सामना करना पड़ता है। कई लड़कियों ने बताया सरकार को लॉ एंड ऑर्डर पर ध्यान देना चाहिए। एक छात्रा ने कहा कि सरकारों को लड़कियों के ऐसी ट्रेनिंग देनी चाहिए जिससे लड़कियां खुद की रक्षा कर सकें। इस तरह की ट्रेनिंग होगी तो कोई लड़कियों का रेप करने की सोचेगा भी नहीं।
रात में कर्फ्यू और दिन में रैली पर भी युवाओं ने उठाए सवाल?
युवाओं का कहना है कि ओमीक्रॉन के बढ़ते केस के चलते रात में नाइट कर्फ्यू लग रहा है, लेकिन दिन में रैलियां हो रही हैं। ये कहां तक सही है। उन्होंने कहा कि मॉब लिंचिंग पर भी सख्त कानून बनना चाहिए। ज्यादातर युवाओं ने कहा कि सरकार चाहे जितना काम कर ले स्थानीय प्रसाशन को व्यवस्थित होगा तभी गलत चीजें रुकेंगी। हालांकि, कुछ युवाओं ने इस तर्क का विरोध करते हुए कहा कि ये सब सरकार की इच्छाशक्ति पर ही निर्भर करता है। एक युवा ने बताया कि क्षेत्रीय नेताओं की वजह से सरकार की नीतियां आम आदमी तक नहीं पहुंच पाती हैं।
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