
छठ जैसे महापर्व के लिए घाटों की साफ-सफाई शुरू हो चुकी है, लेकिन अभी तक कुछ घाटों की साफ-सफाई और मरम्मत नहीं की गई है. शहर के घाटों की साफ-सफाई, मरम्मत, घाटों तक पहुंचने के रास्ते अब तक दुरुस्त नहीं हुए हैं। कुल 36 बड़े-छोटे घाटों पर लोग छठ मनाते हैं। 30 अक्तूबर को शाम और 31 अक्तूबर को सुबह का अर्घ्य दिया जाएगा। इससे पहले 28 अक्तूबर को नहाय-खाय है। इसी दिन से स्वर्णरेखा और खरकई नदी के तमाम घाटों पर श्रद्धालुओं की भीड़ जुटती है। जेएनएसी का कहना है कि 36 घाटों को छह जोन में बांटकर वहां साफ-सफाई से लेकर हर जरूरी इंतजाम किये जायेंगे। स्वर्णरेखा नदी में पानी कम होने से दोमुहानी पुल घाट दलदली हो गया है, जिससे हादसे की आशंका है। अब तक खतरनाक घाटों को चिह्नित भी नहीं किया गया है।
दीपावली के बाद नदी में विसर्जित की गई पूजन सामग्री का कचरा फैला हुआ है
दोमुहानी घाट तक पहुंचने के रास्ते अत्यधिक ढाल है, जिससे खाली पैर आने वाले श्रद्धालुओं को परेशानी होगी। जेएनएसी और जुस्को मिलकर घाटों की सफाई से लेकर मरम्मत का काम करती हैं। घाटों पर दुर्गा पूजा और दीपावली के बाद नदी में विसर्जित की गई पूजन सामग्री का कचरा फैला हुआ है। मानगो घाट : यहां सर्वाधिक भीड़ होती है। त्योहार के कारण विसर्जित पूजन सामग्री का कचरा घाट पर फैला हुआ है। नदी में पानी कम होने के कारण व्रती कमरभर पानी में जाकर भगवान सूर्य को अर्घ्य देंगे, लेकिन अब तक पानी में बेरिकेडिंग नहीं की गई है।

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