
कोरोना महामारी के साथ कई वरिएंट ने दस्तक दी. कोरोना के कसेस में कमी तो आई है लेकिन पूरी तरीके से ख़त्म नहीं हुई है. उस वक्त से हमने इन वेरिएंट से बचने के लिए फेस मास्क और दस्तानों का उपयोग करना शुरू किया था. अभी एक मामला फेस मास्क और दस्तानों को लेकर ही सामने आया है. अध्ययन में पाया गया है कि डिस्पोजेबल फेस मास्क और प्लास्टिक के दस्ताने सैकड़ों वर्षों तक नहीं तो दसियों वर्षों तक वन्य जीवों के लिए खतरा पैदा कर सकते हैं। इन फेस मास्कों के जानवरों के शरीर में फसना सबसे आम खतरों में से एक है, कुछ जानवर प्लास्टिक के मलबे में फंसने के बाद मर गए हैं।
हम अपने पर्यावरण में अधिकांश कूड़े को छानते हैं, क्योंकि यह कुरकुरे का पैकेट या सिगरेट बट्स जैसे उदाहरणों का प्रतिनिधित्व करता है जिन्हें हमने वर्षों या दशकों से देखा है। जबकि पीपीई किट ने महामारी के शुरुआती दिनों में हमारे अपशिष्ट प्रबंधन प्रणालियों को भर दिया था, तो यह बहुत अधिक स्पष्ट था क्योंकि यह नया था। अब जब हम जमीन पर पड़ा एक नीला फेस मास्क देखते हैं तो हम उससे बच के निक जाते हैं। यह कूड़ा तेजी से हमारे पर्यावरण में रोजमर्रा के अनुभव का हिस्सा बन गया है।
फेंके गए फेस मास्क की मात्रा में 80 गुना से अधिक की हुई वृद्धि
दुनिया के कई इलाकों में आनावश्यक गतिविधि पर प्रतिबंध लगाया गया था, हम कभी भी इस मुद्दे की वास्तविक सीमा को नहीं जान पाएंगे। लेकिन यह अध्ययन हमें प्रभावित प्रजातियों की विशाल विविधता का एक हिस्सा दिखता है। डॉ. एलेक्स बॉन्ड, प्रमुख क्यूरेटर और संग्रहालय में पक्षियों के प्रभारी क्यूरेटर हैं।
अध्ययनकर्ताओं ने दुनिया भर के 114 दृश्यों को देखा गया जिनमें से 83 फीसदी में पक्षी, 11 फीसदी स्तनधारी, जबकि 3.5 फीसदी अकशेरुकी और 2 फीसदी मछलियां कोविड-19 के कचरे के सबसे अधिक संपर्क में थे। मौजूदा परिणाम इस बात की तस्दीक करता है कि पक्षियों को प्लास्टिक से उलझने का विशेष खतरा है, समुद्री पक्षी प्रजातियों की अनुमानित तीसरी और मीठे पानी की प्रजातियों का दसवें हिस्से में सिंथेटिक वस्तुओं को पाया गया है।
वायरस के फैलने को रोकने के लिए फेस मास्क का इस्तेमाल किया गया
कुल मिलाकर वन्यजीवों के महामारी के कचरे से उलझने का प्रभाव लगभग 42 फीसदी है, लेकिन यह केवल 40 फीसदी से थोड़ा अधिक है, जिसमें पक्षियों को घोंसले बनाने के लिए फेस मास्क और दस्तानों का इस्तेमाल करते देखा गया। मार्च 2020 में कोविड-19 को महामारी घोषित किया गया था, तो वैज्ञानिकों ने इसे एकल या एक बार उपयोग होने वाले प्लास्टिक के उत्पादन और उपयोग में अभूतपूर्व वृद्धि के रूप में जाहिर किया था। पीपीई उद्योग के बाजार की अहमियत महामारी के पहले वर्ष में लगभग 200 गुना तक बढ़ गई क्योंकि वायरस के फैलने को रोकने के लिए दुनिया भर के देशों में इसे जरूरी पाया गया था।
इनमें से कुछ जरूरी चीजों में विशेष प्रकार के फेस मास्क और अन्य सुरक्षात्मक चीजों के बारे में भी निर्देश दिए गए थे, जिनमें से अधिकांश एक बार उपयोग होने वाली चीजें थी। मार्च से अक्टूबर 2020 तक फेंके गए फेस मास्क की मात्रा में 80 गुना से अधिक की वृद्धि हुई, जो वैश्विक स्तर पर सभी डंप किए गए कूड़े का लगभग 1 फीसदी तक है।

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