दीपिका पादुकोण की फिल्म छपाक लक्ष्मी अग्रवाल के जीवन पर आधारित है । इस फिल्म की कहानी फिल्मी नहीं, बल्कि एक कडवा सच है। दीपिका का वह जला चेहरा भले ही मेकअप से तैयार किया गया हो लेकिन दीपिका ने जिस लड़की की कहानी पर्दे पर उतारी है , वह उसी जले चेहरे के साथ हर दिन इस समाज का सामना करती है।
फिल्म छपाक एसिड हमले के खिलाफ आवाज बनकर उभरी लक्ष्मी अग्रवाल की कहानी है।लक्ष्मी अग्रवाल का जन्म 1 जून 1990 को एक सामान्य परिवार में हुआ था। उनके पिता और भाई का निधन पहले ही बीमारी के कारण हो गया था।
लक्ष्मी अग्रवाल की मां घर-घर में काम करके परिवार का खर्च चलाती थीं। लक्ष्मी बचपन से ही पढ़ने में होशियार थीं। जब वह 15 साल की थीं, तो उनके घर के पास रहने वाले एक 32 साल के आदमी को उनसे प्यार हो गया।
जब नईम खान नाम के उस शख्स ने लक्ष्मी से प्यार का इजहार किया तो उन्होंने इनकार कर दिया। जिसके बाद नईम खान ने गुस्से में लक्ष्मी अग्रवाल पर तेजाब से हमला कर दिया।
एक लड़की जो पढ़ाई में होनहार थी। अच्छा गाना गाती थी और सिंगर बन ने का सपना देख रही थी, उसकी जिंदगी अचानक ही बदल गई। लक्ष्मी का चेहरा एसिड हमले में जल गया, लेकिन उन्होंने हार नहीं मानी।
साल 2006 यानी घटना के एक साल के अंदर पीआईएल दाखिल कर सुप्रीम कोर्ट में तेजाब को बैन करने की मांग उठाई।उसके बाद से लक्ष्मी अग्रवाल की जिंदगी में काफी उतार चढ़ाव आए। लक्ष्मी अग्रवाल महिलाओं के लिए काम करती है। एसिड हमले की पीड़िताओं को न्याय दिलाने, उन्हें समाज में बिना किसी डर और शर्म के नजरे उठाकर चलने के लिए प्रोत्साहित करती हैं।
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