जमशेदपुर में लगातार अपराध के मामले सामने आ रहे है. कभी हत्या, चोरी, डैकेती जैसे घटनाएँ लगातार कुछ दिनों से सामने आ रही है. 2019 में एक बड़ी घटना घटी थी. जमशेदपुर की घाघीडीह सेंट्रल जेल में वर्ष 2019 में कैदियों के दो गुटों की हिंसक झड़प के दौरान मनोज सिंह नामक कैदी की हत्या के मामले में जिला अदालत ने दोषी पाये गये 15 अभियुक्तों को फांसी की सजा सुनाई है। इसी मामले में 7 अभियुक्तों को जानलेवा हमले का दोषी करार देते हुए 10 साल की सजा सुनाई गई है। जेल के अंदर की यह वारदात वर्ष 2019 में 26 जून को हुई थी। यहां कैदियों के दो गुट वर्चस्व को लेकर भिड़ गये थे।
10 वर्ष की सजा मिलने के बाद जेल में बंदी थे
दोनों ओर से जमकर लाठी-डंडे और पत्थर चले थे। इसमें बुरी तरह घायल दो कैदियों मनोज सिंह और सुमित सिंह को इलाज के लिए अस्पताल ले जाया गया था, जहां मनोज सिंह ने दम तोड़ दिया। यह पूरी घटना सीसीटीवी में कैद हो गयी थी। मनोज सिंह दहेज प्रताड़ना मामले में 10 वर्ष की सजा मिलने के बाद जेल में बंदी थे। जिन दोषियों को फांसी की सजा सुनाई गई है उनमें श्यामु जोजो, पंचानन पात्रो, पिंकू पूर्ती, अजय मल्लाह, अरुप कुमार बोस, रामराय सुरिन, रमाय करुआ, गंगाधर खंडैत, रमेश्वर अंगारिया, गोपाल तिरिया, शरत गोप, वासुदेव महतो, जानी अंसारा, शिव शंकर पासवान और संजय दिग्गी शामिल हैं।
जमशेदपुर के एडीजे-4 राजेंद्र सिन्हा ने गुरुवार को सजा के बिंदु पर बहस पूरी होने के बाद यह फैसला सुनाया। जिन लोगों को 10 साल की सजा सुनाई गई है उनमें शोएब अख्तर, मो तौकिर, अजीत दास, सोनु लाल, सुमित सिंह, ऋषि लोहर और सौरभ सिंह शामिल हैं। इसी मामले के आरोपी हरीश सिंह, अविनाश श्रीवास्तव और जेल के चार कक्षपाल के खिलाफ अदालत में अलग से सुनवाई होगी। दोषियों को फांसी की सजा सुना दी गई.
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