जैसा कि आप सब जानते है कि दिवाली कल खत्म हो गई और दिवाली के छह दिन बाद छठ मनाया जाता है। इसके लिए घाटों कि सफाई की गई. लोग अभी से छठ घाटों को घेरने में लगे हुए है। लोग छठी मईया में अपनी आस्था रखते हैं और पूरी श्रद्धा से पूजा करते हैं। यह तो बहुत अच्छी बात है कि छठ घाटों की सफाई कर दी गई और कई जगहों पर अभी भी सफाई का कार्यक्रम चल रहा है, लेकिन क्या कभी हमारा ध्यान नदियों के पानी की तरफ जाता है जो लगातार मैला होता जा रहा है ? घाट की तो सफाई कर दी, लेकिन पानी का क्या?
गंदे नालों का पानी नदी में जाकर इकठा हो रहा है, जिससे नदी का पानी गंदा हो रहा है। नालों के पानी को छोडिए यहां तो लोग मरे हुए जानवरों को भी फेंक दे रहे हैं, जिससे नदी का पानी दूषित हो रहा है। इस नदी के पानी को पीना तो दूर, लोग अगर नहा भी लें, तो उसे 10 बीमारियों से जुझना पड़ेगा। लोग अपने घरों के कचरे नदी, नालों में बहा देते है। कब समझेंगे लोग कि सिर्फ अपने घरों की सफाई कर लेने से दिवाली और छठ नहीं मन सकता. बात तो तब बनेगी, जब हम अपने घर के साथ-साथ अपने आस-पास की जगहों को भी साफ-सुथरा रखें. जगह कि और भी ध्यान देते उस जगह को साफ करते। प्सरकार ने तो स्वच्छता को लेकर कई अभियान चलाए हैं हमें स्वयं को इस अभियान से जोड़ लेना चाहिए। हमें ये समझना होगा पर्व कोई भी हो उस दौरान भी स्वच्छता सबसे ज्यादा जरूरी है।
Sapna Chakraborty
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