मलेरिया के बारे में अब तक यह कहा जाता रहा है कि इससे खून और लिवर संक्रमित होता है. अब एक नए अध्ययन में मलेरिया रोगियों में मुख्य रूप से फेफड़े, आंतों के म्यूकस झिल्ली में संक्रमण के प्रतिकार (Retribution) में बनी एंटीबॉडी का पता चला है.
यूनिवर्सिटी ऑफ मैरीलैंड के रिसर्चर्स के अनुसार इससे इस बात की जानकारी मिलेगी कि मानव का शरीर मलेरिया संक्रमण का किस प्रकार से प्रतिरोध करता है, जिससे इस बीमारी का नया इलाज या टीका विकसित करने में मदद मिल सकती है ? NPJ Vaccines जर्नल में प्रकाशित इस अध्ययन के अनुसार शोध टीम ने एंटीबाडी की जांच के लिए मलेरिया ग्रस्त 54 वयस्कों के ब्लड सैंपल लिए थे. इन प्रतिभागियों को प्रयोगशाला में इंट्रावेनस (सूई के जरिये) या मच्छर से कटा कर मलेरिया संक्रमित किया गया.
रिसर्चर्स ने पश्चिम अफ्रीका के माली में रहने वाले 47 बच्चों के भी ब्लड सैंपल का परीक्षण किया. इन बच्चों को मलेरिया टीका के ट्रायल के सूचीबद्ध किया गया था, जो अध्ययन के दौरान संक्रमित हुए थे. शोधकर्ताओं ने मलेरिया संक्रमित वयस्क प्रतिभागियों के ब्लड सैंपल में आईजी ए (IgA) नामक एंटीबाडी काफी मात्रा में पाया. 10 प्रतिभागी बच्चों में भी आईजी ए (IgA) एंटीबाडी का स्तर वयस्कों के समान पाया गया.
क्या पता चला अध्ययन से
यूनिवर्सिटी ऑफ मैरीलैंड के स्कूल ऑफ मेडिसिन में बाल संक्रामक रोगों की एसोसिएट प्रोफेसर एंड्रिया बेरी ने बताया कि हमें नहीं पता कि आईजी ए (IgA) एंटीबाडी किस प्रकार से विकसित हुई, लेकिन हमारा मानना है कि यह मलेरिया संक्रमण के शुरुआती दौर में हुआ होगा. बच्चों और वयस्कों में इस प्रकार के अंतर के बारे में कई संभावित स्पष्टीकरण दिए जा सकते हैं. बेरी ने कहा कि हो सकता है कि बच्चों का इम्यून सिस्टम मलेरिया पैरासाइट के विरुद्ध वयस्कों की तुलना में अलग ढंग से प्रतिकार करता हो या फिर संभव है कि आईजी ए (IgA) एंटीबाडी सिर्फ मलेरिया के पहले संक्रमण के दौरान बनी हो.
शोधकर्ताओं को मालूम था कि वे पहली बार संक्रमित हुए, जबकि बच्चों के बारे में ऐसी कोई जानकारी नहीं थी कि उन्हें पहले कभी संक्रमण हुआ था या नहीं. इसके साथ ही वयस्कों में संक्रमण और उनके सैंपल कलेक्शन के समय में भी समानता थी, जबकि बच्चों के बारे में इसकी जानकारी नहीं थी कि उन्हें कब संक्रमण हुआ ? उन्हें तो प्रयोग के दौरान आकस्मिक रूप से संक्रमण हुआ था.
जांच में क्या होगा आगे ?
बेरी ने कहा कि अब वे इसकी जांच कर सकते हैं कि क्या आईजी ए (IgA) एंटीबाडी मलेरिया पैरासाइट को लिवर या लाल रक्त कोशिकाओं (रेड ब्लड सेल्स- आरबीसी) में जाने से रोकता है. इस बात की भी पड़ताल की जाएगी, कि आईजी ए (IgA) एंटीबाडी मलेरिया संक्रमण में किस प्रोटीन को निशाना बनाता है और क्या यह वैक्सीन विकसित करने के उपयुक्त हो सकते हैं.
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