इंदौर: देवी अहिल्या विश्वविद्यालय के पत्रकारिता एवं जनसंचार अध्ययनशाला में डॉ. अमिता नीरव की प्रथम औपन्यासिक कृति ‘माधवी : आभूषण से छिटका स्वर्णकण’ का लोकार्पण एवं पुस्तक चर्चा कार्यक्रम आयोजित हुआ | इस कार्यक्रम के मुख्य अतिथि मध्य प्रदेश साहित्य अकादमी के निदेशक डॉ. विकास दवे रहे |उन्होंने कार्यक्रम को सम्बोधित करते हुए कहा कि जैसे मनुष्य का शरीर होता है ठीक वैसा ही शरीर साहित्य का भी है | यदि आप किसी विधा में लगातार रचनाक्रम करते है तो शरीर का कोई अंग आवश्यकता से अधिक पुष्ट हो जाता है| यह रोग का परिचायक होता है |इसलिए पुरे शरीर का पुष्ट होना ये साहित्य के लिए भी उतना ही ज़रूरी है जितना ये शरीर के लिए है |
इन दिनों जबकि कविता, कहानी अधिक लिखी जा रही है मुझे लगता है कि साहित्य की पुष्टि के लिए च्यवनप्राश का कार्य करने वाला ये माधवी उपन्यास है |माधवी का जीवन आदर्श और स्तुत्य भले न रह हो किंतु यह स्त्री जीवन की सर्वतोमुखी शोषण की कथा कहता है| जो आधुनिक जीवन में भी अपनी प्रासंगिकता रखता है। हर दृष्टि से ये उपन्यास एक यथार्थवाद का भाव रखता है। पौराणिक काल के एक सर्वथा उपेक्षित पात्र माधवी पर 632 पृष्ठ के एक महाकाव्यात्मक उपन्यास रचना के लिए डॉ अमिता नीरव बधाई की पात्र हैं जिन पर हमें गर्व होना चाहिए।
माधवी से हमें इस युग में पुराने काल की स्त्रियों की परिस्थिति जानने को मिलता है
विमोचन कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए देवी अहिल्या विश्वविद्यालय की कुलपति डॉ. रेणु जैन ने कहा कि अपने ज़माने में हम किताबों से ही सीखते थे तथा किताबें हमारे जीवन का सफर हुआ करता था | हम अधिक पृष्ठ वाली ही किताब को हमेशा चुनते थे ताकि वो एक लम्बे सफर का साथी बने |
माधवी से हम सबको इस युग में पुराने काल की स्त्रियों की परिस्थिति जानने को मिलता है तथा मैं प्रसन्न हूँ की आज हम उस स्थिति से आगे बढे है |
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माधवी उपन्यास की समीक्षा, क्या कहा सबने
साथ ही इस कार्यक्रम की वक्तागण न्यू जीडीसी की प्रोफेसर डॉ. शोभना जोशी ने भी माधवी उपन्यास का मनोज्ञ समीक्षा करते हुए कहा कि मानव का कर्त्तव्य है कि वह अपने सम्मान, जीवन तथा अस्मिता के विरुद्ध होने वाली हर बात का विरोध करें | इस कर्त्तव्य का निर्वाह करते हुए उपन्यास माधवी का परम्परा में एतिहासिक महत्व निःसंदेह रहेगा ऐसी मैं आशा करती हूँ |
इस कार्यक्रम में सेज विश्वविधयालय की प्रोफेसर ममता ओझा ने भी उपन्यास की समीक्षा करते हुए कहा कि इस उपन्यास में अमिता ने हर किरदार को बहुत अच्छी तरह गढ़ा है तथा हर किरदार का व्याख्यान बहुत तार्किक किया है | माधवी की जब मैं पृष्ठ संख्या देखती हूँ तो मुझे बहुत प्रसन्नता होती है क्योकि मुझे लम्बी यात्रा बहुत पसंद है और मैं लम्बा जीना पसंद करती हूँ |
पत्रकारिता एवं जनसंचार की विभागाध्यक्ष डॉ. सोनाली नरगुंदे ने भी उपन्यास की समीक्षा करते हुए कहा कि लेखन में भाषा बहुत गहन किंतु सरल और सहज है तथा इसके संवाद बहुत सहज और रोमांचक है | हर पात्र को बहुत अच्छी तरह से इस उपन्यास में गढ़ा गया है | मैं अमिता नीरव से आगे भी ऐसे ही अच्छे साहित्य की अपेक्षा करती हूँ |
माधवी की रचनाकार डॉ अमिता नीरव ने कहा कि माधवी का जीवन मानवीय दुख का दस्तावेज है। एक स्त्री कैसे व्यवस्था के हाथों छली जाकर अंतहीन पीड़ा से गुजरती है,इसे माधवी में पढ़ा, महसूसा जा सकता है। महाभारत काल के पूर्व से आज तक कभी स्त्री जाति सत्ता में नहीं रही।सत्ता कैसे स्त्री को,एक व्यक्ति को वस्तु में परिणत कर देती है इसका जीता जागता उदाहरण माधवी का जीवन है। फिलवक्त हम विकासशील और भौतिक युग में जी रहे हैं किंतु स्त्री के हिस्से में आए कुछ प्रश्न शाश्वत बने हुए हैं।
माधवी व्यवस्था को मानव के अनुकूल करने के संघर्ष में रत किरदारों के दस्तावेज है।
कवि एवं वरिष्ठ पत्रकार पंकज दीक्षित ने कार्यक्रम का संचालन किया | इस कार्यक्रम में शहर के कई गणमान्य नागरिक, पत्रकार एवं साहित्य जगत की कई हस्तियां मौजूद थी तथा रेनेसां विश्वविद्यालय के कुलपति डॉ. राजेश दीक्षित नीरव ने आभार व्यक्त किया |
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