अरविंद खुद को बताता था सेल का एचआर मैनेजर
रांची : मानव संसाधन प्रबंधक प्रकोष्ठ में नौकरी पर लगाने के नाम पर आठ बेरोजगार युवकों से 21.68 लाख रुपये ठगने के मामले में कोतवाली थाना पुलिस ने मुख्य सरगना अरविंद कुमार सिन्हा को कल यानि रविवार को गिरफ्तार कर जेल भेज दिया। आरोपी जगन्नाथपुर थाना क्षेत्र की नेपाली कॉलोनी का रहने वाला है।
आरोपी के खिलाफ पहली एफआईआर उनके ड्राइवर मनोहर प्रसाद उर्फ मनोहर पटेल ने दर्ज कराई थी। पुलिस ने जब जांच शुरू की, तो पता चला कि आठ लोगों के साथ ठगी की गई। प्राथमिकी दर्ज होने के बाद से आरोपी पुलिस को चकमा दे रहा था। वहीं उसकी पत्नी सुधा कुमारी, डॉ. एके सिन्हा, भुवन राय और राजकुमार प्रसाद अभी भी फरार हैं। पुलिस चारों आरोपियों की गिरफ्तारी के लिए लगातार छापेमारी कर रही है। कोतवाली थाना प्रभारी शैलेश कुमार ने बताया कि 2011 में प्राथमिकी दर्ज की गई थी। तब से पुलिस मामले की लगातार जांच कर रही थी। आरोपी का कुछ पता नहीं चल पा रहा था। इसी बीच गुप्त सूचना मिली कि अरविंद कुमार सिन्हा जगन्नाथपुर इलाके में रह रहा है। फिर उसे दबोच लिया गया। पुलिस के मुताबिक अरविंद कुमार सिन्हा ठगों का गिरोह चला रहा था। इस गिरोह में उनकी पत्नी सुधा कुमारी के साथ तीन अन्य लोग भी शामिल थे। वह पहले बेगुनाह लोगों को अपने जाल में फंसाता था, फिर प्रकोष्ठ के दफ्तर को दरभंगा हाउस बताता था और बड़े अफसरों के कमरे में जाकर ठगी के शिकार लोगों को बाहर रहने को कहता था। कुछ देर बाद वह अफसर के कमरे से निकल जाता। इसी तरह एक के बाद एक आठ लोग इनके जाल में फंसते गए। पांच लाख में ड्राइवर मनोहर से सौदा हुआ था। ढाई लाख रुपए एडवांस लिए। ठगी का शिकार मनोहर प्रसाद गैंगस्टर अरविंद सिन्हा की पत्नी सुधा का ड्राइवर था। सुधा ने मनोहर को बताया कि उनके पति सेल में एचआर मैनेजर हैं। 5 लाख रुपये दोगे तो काम हो जाएगा। नौकरी के लालच में मनोहर प्रसाद ने 2009 में 2.50 लाख रुपये एडवांस दे दिए। यह पैसा अरविंद कुमार सिन्हा ने दरभंगा हाउस में लिया था। पैसे देने के बाद भी जब मनोहर को नौकरी नहीं मिली, तो उसे कुछ संदेह हुआ। इधर आरोपी लगातार बाकी पैसे देने की बात करता था। ठगी के शिकार लोगों ने जब उन पर पैसे लौटाने का दबाव बनाना शुरू किया, तो अचानक एक दिन अरविंद कुमार सिन्हा परिवार के साथ घर में ताला लगाकर फरार हो गए। काफी तलाश के बाद भी आरोपी से संपर्क नहीं हो पाया, तो मनोहर ने कोतवाली थाने में प्राथमिकी दर्ज करायी। पुलिस ने जांच शुरू की, तो पता चला कि पूरा परिवार धोखाधड़ी के धंधे में संलिप्त है। मनोहर के अनुसार वह अधिकारियों के कार्यालय कक्ष में जाता था और दावा करता था कि सब कुछ सेट है। पुलिस पूछताछ के दौरान मनोहर ने आरोप लगाया था कि आरोपी युवकों को झांसा देकर दरभंगा हाउस ले जाता था। लोगों को बताता था, कि यह सेल का ऑफिस है। वह बड़े-बड़े अधिकारियों के दफ्तरों में प्रवेश करता था और कुछ देर बाद निकल जाता था। वह बाहर आकर बातें करता था कि सब सेट हो गया है। किसी को समझ नहीं आता था कि अंदर के अधिकारियों से बात हो रही है या नहीं।
आरोपी का साला करता था मेडिकल जांच
दर्ज प्राथमिकी के अनुसार मनोहर प्रसाद पटना के कदमकुआं स्थित अपने ससुराल में आरोपी अरविंद कुमार सिन्हा की तलाश में गया था। ससुराल में आरोपी का साला सोनू व बिट्टू मिला, जो युवकों की फर्जी मेडिकल जांच कराकर नौकरी के कागजात देता था। इस प्रकार ठगी का यह धंधा चल रहा था।
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