
जयशंकर ने देश की 25 सालों की विदेश नीति की रूपरेखा पेश की। उन्होंने कहा कि देश अपनी क्षमताओं पर भरोसा रखे और दुनिया क्या है, यह जानने की बजाए, हम क्या हैं, यह देखे और हर क्षेत्र में मौजूद अवसरों का लाभ उठाए।
उन्होंने कहा
विश्व के इस हिस्से में हम एकमात्र लोकतंत्र थे। हमें हमारी क्षमताओं पर फोकस करना चाहिए और आने वाले वर्षों में दुनिया के माहौल को देखकर हर क्षेत्र में लाभ उठाना चाहिए। विदेश मंत्री ने कहा कि हमें यह भरोसा होना चाहिए कि हम कौन हैं? विश्व से संपर्क के वक्त यह ध्यान रखना होगा कि हम कौन हैं, हमें इस दायरे में सीमित नहीं रहना है कि वे कौन हैं। हमें दूसरे देशों से मंजूरी के ख्याल को छोड़ना पड़ेगा।
विदेश मंत्री एस जयशंकर ने ‘रायसीना डायलॉग’ के एक संवाद सत्र में कहा कि यूक्रेन में संकट यूरोप के लिए ‘चेताने वाला’ हो सकता है, ताकि वह यह भी देखे कि एशिया में क्या हो रहा है। उन्होंने कहा कि पिछले 10 वर्षों से यह दुनिया का आसान हिस्सा नहीं है। यूक्रेन पर भारत के रुख की आलोचना का जवाब देते हुए कहा कि पश्चिमी शक्तियां एशिया के सामने आने वाली चुनौतियों से बेखबर हैं, जिसमें अफगानिस्तान में पिछले साल की घटनाएं और क्षेत्र में नियम-आधारित व्यवस्था पर लगातार दबाव शामिल है।
जयशंकर ने चीन के संदर्भ में कहा कि जब एशिया में नियम-आधारित व्यवस्था को चुनौती दी जा रही थी, तब यूरोप द्वारा भारत को और अधिक व्यापार करने की सलाह दी गई थी। लेकिन कम से कम हम आपको ऐसी सलाह नहीं दे रहे हैं। हमने यूरोप को एशिया की ओर देखने की सलाह दी, जिसकी सीमाएं अस्थिर थीं।
कल से बांग्लादेश व भूटान यात्रा पर जयशंकर
विदेश मंत्री जयशंकर 28 से 30 अप्रैल तक बांग्लादेश व भूटान की आधिकारिक यात्रा पर जाएंगे। विदेश मंत्रालय ने बुधवार को यह जानकारी दी।

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