आज के युवा वर्ग ड्रग, शराब जैसी गन्दी आदतों की कारण अपने जीवन को संकट में डालने से बाज नहीं आते. चिट्टा एक ऐसा नशा है जिसका एक या दो बार सेवन करने के बाद, कोई भी इसका आदी हो जाता है. और इसे छुड़ाने के लिए कई बार मरीज को भर्ती भी करना पड़ता है. सफेद रंग के पाउडर सा दिखने वाला ये नशा एक तरह का सिंथेटिक ड्रग्स है. हेरोइन के साथ कुछ केमिकल्स मिलाकर ये ड्रग्स तैयार किया जाता है. ठीक इसी चिट्टा ड्रग से जुड़ा मामला हिमाचल प्रदेश से सामने आया है जहाँ जैसे-जैसे युवा पीढ़ी में सिंथेटिक ड्रग ‘चिट्टा’ का प्रयोग बढ़ता जा रहा है, वैसे-वैसे पुलिस की टेंशन भी बढ़ती जा रही है।
‘चिट्टा’ ड्रग के आदि हो रहे हैं युवा
अफगानिस्तान से आता है ‘चिट्टा’जांच में सामने आया है कि हिमाचल प्रदेश समेत उत्तर भारत के कई राज्यों में यह ड्रग्स अफगानिस्तान से बंदरगाहों के जरिए लाकर बेचा जा रहा है। चूंकि हेरोइन बहुत महंगी होती है, इसलिए केमिकल्स से तैयार किया गया इसका पतला संस्करण ‘चिट्टा’ नशेड़ियों को सस्ते दामों पर बेचा जा रहा है। ‘चिट्टा’ के बढ़ते प्रचलन के बीच अब पुलिस ‘महिला मंडलों’ की मदद लेगी. अब पुलिस ने इसपर रोक लगाने के लिए बड़ा प्लान बनाया है। पुलिस नशे के इस्तेमाल को रोकने के लिए ‘महिला मंडलों’ (गांवों की महिलाओं के समूह) की मदद लेगी।
राज्य पुलिस और सीआईडी से जुड़े सूत्रों के अनुसार, पिछले छह महीने में ड्रग्स की बरामदगी से पता चला है कि प्रदेश में हेरोइन का उपयोग बढ़ रहा है। हालांकि हेरोइन की तुलना में ‘चिट्टा’ सस्ता होता है, जिसके कारण नशे के आदी लोग इसका ज्यादा इस्तेमाल कर रहे हैं। युवा ये नहीं जान रहे है कि ड्रग्स का रोजाना इस्तेमाल करके वो अपनी ज़िंदगी को खतरे में डाल रहे है. और फिर ये लत तो ऐसी है कि अगर कोई युवा एक बार इसका शिकार बन जाए तो इतनी आसानी से बाहर नहीं आ सकता.
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