एक बड़ी बात भारत के खेलों में भारत को जिताने को लेकर सामने आ रही है। कॉमनवेल्थ गेम्स 2022 में भारतीय मुक्केबाजों का अभियान अच्छा रहा क्योंकि उन्होंने तीन स्वर्ण, एक रजत और तीन कांस्य पदक के साथ न केवल 7 मेडल अपने नाम किए बल्कि मुक्केबाजी पदक तालिका में दूसरे स्थान पर रहे। अजय सिंह के नेतृत्व में फेडरेशन ने अपने मुक्केबाजों पर कड़ी मेहनत की है और हर वो चीज मुहैया कराई है जिनकी उन्हें जरूरत है। नाम न छापने की शर्त के साथ आइएएनएस से बात करते हुए, बॉक्सिंग कोच ने कहा कि अगर मुक्केबाजों को पेरिस ओलिंपिक में पदक हासिल करना है तो उन्हें वास्तव में कड़ी मेहनत करनी होगी।
छह मुक्केबाज 12 सदस्यीय टीम में से फाइनल में पहुंचा
कॉमनवेल्थ गेम्स में शानदार प्रदर्शन के बाद भारतीय मुक्केबाजों का भविष्य उज्जवल दिखता है। इस बार कॉमनवेल्थ गेम्स में दो बार की विश्व युवा चैंपियन नीतू घनघस (48 किग्रा) ने बर्मिंघम में अपना पहला बड़ा खिताब हासिल किया। 52 किग्रा में विश्व चैंपियन निकहत जरीन ने अपना पहला कॉमनवेल्थ गोल्ड मेडल जीता। 2018 में, हमारे छह मुक्केबाज 12 सदस्यीय टीम में से फाइनल में पहुंचा। लेकिन इस बार केवल चार। इसलिए, हमें वास्तव में बहुत मेहनत करने की जरूरत है।”
बॉक्सिंग निश्चित रूप से भारत के सर्वश्रेष्ठ खेलों में से एक है जिसने कई ओलिंपिक पदक जीते हैं। निशानेबाजी, कुश्ती और हॉकी के अलावा, मुक्केबाजी भारत के सबसे अधिक प्रभावी खेलों में से एक है। पिछले साल के टोक्यो ओलंपिक के दौरान असम की लवलीना बोरगोहेन ने कांस्य पदक जीता था। वह ओलंपिक में अपने देश का प्रतिनिधित्व करने वाली राज्य की पहली महिला भी बनीं थी लेकिन कॉमनवेल्थ गेम्स में उन्होंने निराश किया।
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