दशकों के संघर्ष के बाद अब नई संसद के पहले दिन की कार्यवाही में मोदी सरकार ने इसे पेश किया और इस चर्चित और ऐतिहासिक बिल पर बहस शुरू हो गई. लेकिन क्या यह संसद से पास होते ही लागू हो जाएगा? क्या आने वाले लोकसभा चुनाव में यह क़ानून बनकर हमारे सामने होगा? इस बिल का जनगणना और परिसीमन से क्या संबंध है? ऐसे कई सवाल है जिसके जवाब अभी जानना जरूरी हैं. कांग्रेस ने तो बिल पेश होने के बाद भी सरकार की मंशा पर सवाल खड़े कर दिए हैं. आइए इस बिल के लागू होने के क्रम में आ रहीं अड़चनों के बारे में जान लेते हैं.
बिल लागू होने का क्या है पूरा समीकरण
असल में यह बात बिलकुल सही है कि प्रतिनिधित्व में महिलाओं को आरक्षण तब मिल सकेगा जब जनगणना और परिसीमन की प्रक्रिया पूरी हो जाएगी. देश में 2021 में ही दशकीय जनगणना होनी थी, जो नहीं हो पाई थी. आगे यह जनगणना कब होगी इसकी भी कोई जानकारी नहीं है. कभी 2027 तो कभी 2028 की बात की जाती है. ऐसे में संभव है कि यह जनगणना 2031 में हो. इस जनगणना के बाद ही परिसीमन होगा, तब जाकर यह बिल लागू हो पाएगा. और परिसीमन इसीलिए किया भी जाता है ताकि बढ़ती जनसंख्या के आधार पर आबादी का सही प्रतिनिधित्व हो सके और सभी को समान अवसर मिल सकें.
बुधवार की बहस होगी काफी अहम
अब फिलहाल यह बिल पेश हो चुका है. अगले दिन यानी कि मंगलवार को संसद में बहस होगी. देखना होगा कि विपक्ष की तरफ से बिल को लेकर कितने सवाल पटल पर रखे जाते हैं और सरकार इसका कैसे जवाब दे पाती है. क्या सरकार परिसीमन और जनगणना पर भी जवाब देगी या फिर यह बिल लागू होने में समय लग जाएगा.
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