महिला पत्रिकाओं में पहले व्यंजनों वाला विशेष पन्ना दिखता था, शायद अब भी होता हो. शीर्षक कुछ इस तरह होते थे, ‘करवाचौथ पर पति के लिए बनाएं मखाना कटलेट, चाटते रह जाएंगे उंगलियां.’ तेजी से बदलती दुनिया में यह सोच अब भी नहीं बदली कि अच्छा खाना पकाना, टेबल सजाना पुरुषों को रिझाने, उनसे तारीफ पाने का आसान रास्ता है और ‘कर्तव्य’ भी. औरतें चांद भले छू लें लेकिन ये एक्स्ट्रा स्किल जरूर होनी चाहिए.
6 सितंबर को खबर आई कि महाराष्ट्र के लातूर जिले में बिरयानी नहीं बनाने पर एक व्यक्ति ने नशे की हालत में कथित तौर पर पत्नी को चाकू मार दिया. हमले में महिला गंभीर रूप से घायल हो गयी.
पति बराबर का जीवनसाथी नहीं?
21वीं सदी में ये घटना चौंकाती हैं. हालांकि इससे पहले भी ऐसी घटनाएं रिपोर्ट की गई हैं जब महज खाना नहीं बनाने पर महिला पर जानलेवा हमला किया गया. राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वे- 2021 (एनएफएचएस) के ताजा आंकड़ों से पता चलता है कि कम से कम 40% महिलाओं ने कुछ परिस्थितियों में औरतों पर पति के हिंसा को उचित ठहराया है. इन परिस्थितियों में महिलाओं ने 7 वजहें गिनाईं, जिसमें एक था अच्छा खाना ना बनाना.
महिलाओं पर घरेलू हिंसा इस सदी में भी एक क्रूर सच्चाई
ऑल इंडिया प्रोग्रेसिव वीमेन एसोसिएशन की महासचिव मीना तिवारी कहती हैं, ”महिलाओं पर घरेलू हिंसा इस सदी में भी एक क्रूर सच्चाई बनी हुई है. हमारे समाज में महिलाओं से उम्मीद की जाती है कि वो पति को मालिक समझे, बराबर का जीवनसाथी नहीं. इसलिए पति को खुश रखना, उसका ख्याल रखना खासकर उसकी पसंद का खाना बनाना उसका कर्तव्य बताया जाता है. अगर वह ‘कर्तव्य’ पूरा नहीं करती तो पति उस पर रहम करे, पीटे या तलाक दे दे, ये पति का अधिकार समझा जाता है. पुरुषों के दिल का रास्ता पेट से होकर जाता है..ये कथन और चलन गुलाम मानसिकता है.”
पुरुषों के दिल का रास्ता पेट से होकर जाता है..
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