प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के सुरक्षा में चूक को लेकर चर्चा इन दिनों गर्म है.
पीएम को कुछ प्रदर्शनकारियों द्वारा सड़क अवरुद्ध किए जाने के कारण 20 मिनट तक फ्लाईओवर पर फंसे रहने के बाद पंजाब की अपनी यात्रा से वापस लौटना पड़ा. केंद्रीय गृह मंत्रालय ने इस घटना को सुरक्षा में ‘बड़ी चूक’ करार दिया है.
गृह मंत्रालय ने जिम्मेदारी तय करने और जिम्मेदार लोगों के खिलाफ सख्त कार्रवाई करने के अलावा राज्य सरकार से तत्काल रिपोर्ट भी मांगी है. प्रधानमंत्री की सुरक्षा की जिम्मेदारी स्पेशल प्रोटेक्शन ग्रुप (SPG) के हाथ में होती है, लेकिन जब प्रधानमंत्री किसी राज्य के दौरे पर होते हैं, तो राज्य सरकार भी इसके लिए जिम्मेदार होती है. आखिर स्पेशल प्रोटेक्शन ग्रुप क्या होता है और इस पर देश का कितना खर्च आता है, क्या आपको मालूम है ? नहीं, तो आइए समझते हैं.
SPG सुरक्षा अब सिर्फ प्रधानमंत्री को
02 जून ’1988 में भारत की संसद के एक अधिनियम द्वारा बनाया गया था. इसके जवानों का चयन पुलिस, पैरामिलिट्री फोर्स से किया जाता है. SPG को देश की सबसे पेशेवर और आधुनिकतम सुरक्षा बलों में एक माना जाता है. पहले सुरक्षा प्रधानमंत्री के अलावा दूसरे नेताओं को भी मिलती थी, लेकिन अब ये सुरक्षा सिर्फ पीएम को मिलती है.
एसपीजी का बजट लगातार बढ़ता जा रहा है. मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक 2014-15 में जब मोदी सरकार आई थी, जब एसपीजी का बजट 289 करोड़ रुपये था. इसके बाद 2015-16 में इसे बढ़कर 330 करोड़ रुपये कर दिया गया.
यानी हर दिन पीएम की सुरक्षा पर 1.17 करोड़ का खर्च
2019-20 में इस बजट को बढ़ा कर 540.16 करोड़ रुपये कर दिया गया. साल 2021-22 में एसपीजी का बजट 429.05 करोड़ रुपये था. अभी सिर्फ पीएम मोदी को ही एसपीजी की सुरक्षा मिलती है. यानी हर दिन 1.17 करोड़ का खर्च आता है.
SPG के जवानों को विश्व स्तरीय प्रशिक्षण दिया जाता है. यह वही प्रशिक्षण है जो अमेरिका में स्टेट सीक्रेट सर्विस एजेंट्स को दिया जाता है. पीएम के चारों ओर घेरा बनाकर खड़े जवानों को सिक्यॉरिटी कवर दी जाती है, ताकि प्रधानमंत्री को सुरक्षित बाहर निकाला जा सके.
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एक दर्जन गाड़ियां होती हैं पीएम के काफिले में
SPG के जवानों के साथ पीएम के काफिले में एक दर्जन गाड़ियां होती हैं, जिसमें बीएमडब्ल्यू 7 सीरीज की सिडान, 6 बीएमडब्ल्यू एक्स3 और एक मर्सिडीज बेंज होती है. इसके अलावा मर्सिडीज बेंज ऐंम्बुलेंस, टाटा सफारी जैमर भी इस काफिले में शामिल होती है.
शशांक शेखर विगत 30 वर्षों से पत्रकारिता, आकाशवाणी व सामाजिक कार्यों से जुड़े हुए हैं साथ ही लघु/फीचर फिल्मों व वृत्त चित्रों के लिए कथा-लेखन का कार्य भी विगत डेढ़ दशकों से कर रहे हैं. मशाल न्यूज़ में पिछले लगभग ढाई वर्षों से कार्यरत हैं.
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