दिल्ली-एनसीआर में वायु प्रदूषण (Pollution in Delhi NCR) और पराली जलाने के मामले पर सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) आज काफी सख्त नजर आया. मामले की सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने न केवल पंजाब सरकार को फटकार लगाई, बल्कि प्रदूषण और पराली की समस्या से निपटने के लिए सभी पक्षों को दिवाली से पहले बैठक करने का भी अल्टीमेटम दे दिया. प्रदूषण और पराली पर दिल्ली सरकार और पंजाब सरकार की दलीलों से नाराज ने सुप्रीम कोर्ट ने अहम टिप्पणी की. जस्टिस संजय किशन कौल ने कहा कि अगर मैं बुलडोजर चलाऊंगा तो अगले 15 दिनों तक नहीं रुकूंगा. हम चाहते हैं कि दिवाली की छुट्टियों से पहले सभी पक्ष मिलकर एक बैठक करें. हम इस समस्या का तत्काल समाधान चाहते हैं.
दरअसल, पराली जलाए जाने की घटना और प्रदूषण पर पंजाब सरकार ने कहा कि वह पराली जलाने की घटना को कम करने पर काम कर रहे हैं, वहीं दिल्ली सरकार ने भी ऐसा ही जवाब दिया था कि वह प्रदूषण कम करने पर काम कर रही है. इसी दलील से नाराज होकर सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस संजय किशन कौल ने बुलडोजर वाली टिप्पणी की. हालांकि, इस दौरान वह मुस्कुराते हुए भी नजर आए.
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जस्टिस कौल ने दिल्ली सरकार से कहा कि अगर कुछ समस्या है तो उसपर आपको ध्यान देना होगा. इसके बाद याचिकाकर्ता के वकील विकास सिंह ने कहा कि खेतों में लगने वाली ये आग दिल्ली में पर्यावरण का संतुलन बिगाड़ देती है. इस पर जस्टिस कौल ने पंजाब सरकार से कहा कि आपको ये आग रोकनी होगी. आपके प्रशासन को ऐसा करना ही होगा. स्थानीय एसएचओ को इसकी जिम्मेदारी दी जानी चाहिए. आज से ही उन्हें इस पर काम करना शुरू कर देना चाहिए.
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सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि दिल्ली के लोग स्वास्थ्य समस्याओं से जूझ रहे हैं साल दर साल इस समयावधि में प्रदूषण की समस्या से और इससे तत्काल निपटने की जरूरत है. फसल के लिए वैकल्पिक व्यवस्था मुहैया करायी जानी चाहिए। ताकि किसान पराली नहीं जलाए. सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि पंजाब में धान की फसल को फेज वाइज बाहर किया जाए. केंद्र सरकार इसमें वैकल्पिक फसल के लिए मदद करे. इस पर सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि दिल्ली के सीएम ने कहा है कि एक सॉल्यूशन विकसित किया गया है, जिसके छिडकाव से पराली खाद में बदल जाती है. फिर पंजाब सरकार ने इसका उपयोग क्यों नहीं किया.
हालांकि, सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार से भी सवाल पूछा कि आपने अपने स्तर पर क्या किया है? इस पर केंद्र सरकार ने कहा कि हमने इस समस्या से निपटने के लिए राज्यों को तीन हजार करोड़ रुपए आवंटित किए हैं. इस पर कोर्ट ने कहा कि आंकड़ों से नहीं जमीन पर क्या किया, इसकी जानकारी दें. धान की फसल के बजाय मिलेट यानी मोटे अनाज उगाने को बढ़ावा दिया जा रहा है क्या? इसका प्रचार तो खूब हो रहा है. कोर्ट ने कहा कि इस समस्या का समाधान या तो अभी कीजिए नहीं तो अगले साल तक इंतजार कीजिए. अगले साल से ये समस्या नहीं होनी चाहिए इसके कड़े उपाय अभी से कीजिए.
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