वर्ष 2016 से 2022 के बीच बच्चों की तस्करी की सर्वाधिक घटनाओं के लिहाज से उत्तर प्रदेश, बिहार और आंध्र प्रदेश शीर्ष तीन राज्यों में शामिल हैं, जबकि दिल्ली में कोविड-19 से पहले के मुकाबले महामारी के बाद के चरण में बाल तस्करी के मामलों में 68 फीसदी की बढ़ोतरी दर्ज की गयी है. एक गैर सरकारी संगठन (एनजीओ) के नये अध्ययन में यह जानकारी सामने आयी है.
चाइल्ड ट्रैफिकिंग इन इंडिया : इनसाइट फ्रॉम सिचुएशनल डेटा एनालिसिस एंड नीड फॉर टेक-ड्रिवन इंटरवेंशन स्ट्रेटजी शीर्षक वाली एक रिपोर्ट में इन आंकड़ों का खुलासा किया गया है. इस रिपोर्ट को गेम्स 24×7और कैलाश सत्यार्थी चिल्ड्रन फाउंडेशन (केएससीएफ) ने संयुक्त रूप से मिलकर तैयार किया है. चिल्ड्रन फाउंडेशन (केएससीएफ) के संस्थापक कैलाश सत्यार्थी को शांति के लिए नोबेल पुरस्कार मिल चुका है.
रिपोर्ट के अनुसार उत्तर प्रदेश, बिहार और आंध्र प्रदेश तीन ऐसे शीर्ष राज्य
रिपोर्ट आज रविवार को विश्व मानव तस्करी निरोधक दिवस के मौके पर जारी की गयी, जो देश में बाल तस्करी की चिंताजनक स्थिति को बयां करती है. रिपोर्ट के अनुसार उत्तर प्रदेश, बिहार और आंध्र प्रदेश तीन ऐसे शीर्ष राज्य हैं, जहां 2016 से 2022 के बीच सबसे ज्यादा बच्चों की तस्करी हुई. दिल्ली की बात करें तो कोविड-19 से पहले के मुकाबले महामारी के बाद बच्चों की तस्करी के मामलों में 68 फीसदी की वृद्धि दर्ज की गयी है. जिलावार बाल तस्करी में सबसे ऊपर जयपुर शहर है, जबकि सूची के अन्य शीर्ष चार स्थान पर राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली के इलाके शामिल हैं.
गेम्सx24’ की टीम ने बाल तस्करी से जुड़े ये आंकड़े केएससीएफ और उसके सहयोगियों से जुटाए हैं. ये अध्ययन 2016 से 2022 के बीच 21 राज्यों के 262 जिलों में किया गया, जो कि बाल तस्करी के मौजूदा चलन और तरीकों पर व्यापक जानकारी मुहैया कराता है. अध्ययन के मुताबिक, इस अवधि के दौरान 18 साल से कम उम्र के कम से कम 13549 बच्चों को बचाया गया. रिपोर्ट में बताया गया कि बचाये गये 80 फीसदी बच्चे 13 से 18 साल की उम्र के हैं जबकि 13 फीसदी नौ से 12 साल की उम्र के और दो फीसदी नौ साल से भी कम उम्र के हैं.
बाल तस्करी ने अलग-अलग उम्र सीमा के बच्चों को प्रभावित किया
रिपोर्ट दर्शाती है कि बाल तस्करी ने अलग-अलग उम्र सीमा के बच्चों को प्रभावित किया है, जिसकी वजह से यह एक व्यापक मुद्दा बन गया है. रिपोर्ट के मुताबिक विभिन्न राज्यों में बाल तस्करी के मामलों में महत्वपूर्ण वृद्धि दर्ज की गयी है, लेकिन उत्तर प्रदेश में बाल तस्करी के मामलों में सर्वाधिक बढ़ोतरी हुई है.
कोविड-19 से पहले (2016 से 2019) दर्ज घटनाएं 267 थीं, लेकिन महामारी के बाद के चरण(2021 से 2022) में इनमें भारी वृद्धि देखी गयी और 1214 मामले दर्ज हुए. रिपोर्ट में बताया गया है कि कर्नाटक में 18 गुना वृद्धि दर्ज की गयी और दर्ज मामलों की संख्या छह से बढ़कर 110 हो गई. रिपोर्ट में इन चिंताजनक आंकड़ों के बावजूद पिछले एक दशक में सरकार और प्रवर्तक एजेंसियों द्वारा उठाये गये सकरात्मक कदमों को भी रेखांकित किया गया है. रिपोर्ट में बाल तस्करी से प्रभावी रूप से निपटने के लिए एक व्यापक तस्करी निरोधक कानून की जरूरत पर जोर दिया गया है.
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