भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) को चंद्रयान-3 मिशन में अबतक चांद से कई अहम जानकारी मिली है. विक्रम लैंडर और प्रज्ञान रोवर चांद्र के दक्षिणी ध्रुव की सतह पर ठीक से कार्य कर रहे हैं. अबतक चांद पर दोनों ने घूम-घूमकर कई महत्वपूर्ण डाटा जुटाए हैं. अब चंद्रमा पर ही दोनों विक्रम और प्रज्ञान को सुला दिए जाएंगे. इसरो ने यह फैसला क्यों लिया है? आइये जानते हैं इसके पीछे की वजह. धरती के 14-15 दिन के बराबर चांद पर सूरज उगता और फिर इतने ही दिन अंधेरा छा जाता है.
अब चांद के दक्षिणी ध्रुव की रात शुरू होने वाली है. इस पर सौर ऊर्जा से चलने वाले विक्रम लैंडर और प्रज्ञान रोवर पर सूरज की रोशनी नहीं पड़ेगी. रात खत्म होने के बाद फिर दोनों सिस्टम फिर चालू हो जाए, इसलिए इसरो के चीफ एस सोमनाथ ने अगले एक दो दिनों के अंदर प्रज्ञान और विक्रम को निष्किय करने का फैसला लिया है. रात होने से पहले ही प्रज्ञान रोवर और विक्रम लैंडर के सिस्टम की बैट्री को पूरी तरह चार्ज करके बंद कर दिए जाएं,
ताकि बाद में जरूर पड़ने पर ऑन किया जा सके.आपको बता दें कि विक्रम लैंडर और प्रज्ञान रोवर में सोलर पैनल लगे हुए हैं. ये पैनल सूरज की रोशनी से चार्ज होते हैं. जबतक उन पर सूर्य की रोशनी पड़ती रहेती तबतक वे काम करते रहेंगे. अंधेरे होने के बाद बैट्री चार्जिंग के हिसाब से कुछ दिन या कुछ घंटे तक ही दोनों कार्य कर सकते हैं. हो सकता है कि सूरज उगने पर वो फिर कार्य करने लगे, इसलिए उन्हें समय रहते ही सुला दिया जा रहा है.
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