गूगल मीट बैठक में 6 राज्यों के युवा हुए शामिल
राष्ट्रीय युवा दिवस के अवसर पर आज 12 जनवरी को छात्र युवा संघर्ष वाहिनी के बैनर तले “देश के युवा और संविधान” विषय पर एक विमर्श आयोजित किया गया। यह विमर्श कार्यक्रम गूगल मीट के माध्यम से ऑनलाइन किया गया, जिसमें 6 राज्यों (झारखंड, ओडिशा, महाराष्ट्र, हरियाणा, उत्तर प्रदेश और बिहार) के युवा साथी शामिल हुए।
विमर्श में सुबोध कुमार ने कहा कि आज युवा को रोजगार नहीं मिल रहा है और सरकार सभी संस्थानों का निजीकरण कर रही है, जिससे युवा बेरोजगार हो रहे हैं। आज गांव के अधिकांश युवाओं को संविधान के बारे में पता नहीं है। जो युवा स्कूल-कॉलेजों में पढ़ते हैं, उनको थोड़ा बहुत संविधान के बारे में पता है, लेकिन जो अनपढ़ युवा हैं, उनको संविधान का कोई ज्ञान नहीं है।
भेदभाव मिटाना सिखाता है संविधान
सुशांत विमुक्त (इलाहाबाद) ने कहा, “संविधान केवल युवाओं के लिए नहीं, बल्कि भारत के सभी नागरिकों के लिए है। संविधान हमें भेदभाव मिटाना सिखाता है। समता, स्वतंत्रता एवं बंधुता का अधिकार देता है। संवैधानिक मूल्यों से जनता को अवगत कराने की आवश्यकता पर उन्होंने बल दिया।
युवाओं को संविधानिक मूल्यों से जोड़ने की आवश्यकता
विकास कुमार ने कहा कि युवाओं को संविधानिक मूल्यों से जोड़ने की आवश्यकता है। सोशल मीडिया के माध्यम से तथा अप्रत्यक्ष रूप से उन्हें जोड़ना होगा। सौरभ ने कहा कि युवा केवल संघी बन रहे हैं, परंतु कुछ युवा ऐसे भी हैं जो कोई न कोई आंदोलन में शामिल हैं या आंदोलन कर रहे हैं। उन्होंने दिल्ली का ज़िक्र करते हुए कहा कि कैसे यूजीसी ओकुपाय आंदोलन में युवा शामिल हुए। युवा में वह क्षमता है, जो समाज को दिशा दे सकता है।
समता, स्वतंत्रता और बंधुता का अधिकार देता है संविधान
कुमार आकाश ने संविधान की धाराओं के बारे में चर्चा करते हुए बताया कि आज देश में महिलाओं की अत्याचार और बलात्कारों के मामलों में मात्र 29% को ही न्याय मिलता है। न्याय के मामले में भारत विश्व स्तर पर 81वें स्थान पर है। इया पर देश के युवा को गंभीरतापूर्वक सोचने की आवश्यकता है। एलीन ने कहा कि संविधान ने हमें एक इंसान बनने का पूरा अधिकार दिया है। समता, स्वतंत्रता और बंधुता का अधिकार देता है। हम अपने घर में महिलाओं को कैसे देखते हैं, इस पर भी ध्यान देने की आवश्यकता है।
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झारखंड में पलायन व विस्थापन
मासूम अंसारी ने कहा झारखंड में पलायन व विस्थापन लगातार हो रहा है। सरकार की योजना बनती है, परंतु युवाओं को रोजगार से जोड़ नहीं पा रही है। युवाओं को संवैधानिक अधिकार के बारे में बहुत कम जानकारी है। मानस भूनिया ने कहा क्रांति युवा ही करते आए हैं और कर सकते हैं। आज के अधिकतर युवा नशाखोरी में लिप्त हो रहे हैं।
समाज में चलायें नशा मुक्ति आंदोलन
समाज में नशा मुक्ति आंदोलन चलाने की आवश्यकता है। इसके अलावा तिसोत्तर साथी त्रिलोचन पूंजी, सुजय कुमार, जगत, विजय केदसे एवं अरविंद अंजुम ने युवाओं को संबोधित करते हुए कहा कि संविधान के प्रति युवाओं को संवेदनशील होने की अवश्यकता है। राष्ट्रीय युवा दिवस के अवसर पर सभी को दृढ़ संकल्पित होना होगा। लोगों को संवैधानिक मूल्यों से अवगत कराना होगा। उन्होंने इस तरह की प्रक्रिया लगातार चलाने की अपील की।
विमर्श में अंकित कुमार, जयदेव, खुदीराम, प्रतीक्षा कुमारी, प्रियंका टोप्पो, रासमणि, रुंपा कुमारी, स्वपन कुमार, प्रीति शर्मा, दीपा लक्ष्मी, सुप्रिया कुमारी, अमर सेंगल, विश्वनाथ, झुमुर मानिंद, गुरुपद, मेघराय सोरेन, स्वेता, सुषमा रानी, जयंती, ऋषिराज, निलेश, संतोष कुमार, मंथन, अशोक प्रियदर्शी एवं अशोक उन्नाव मुख्य रूप से शामिल हुए।
कार्यक्रम का संचालन कुमार दिलीप ने किया।
शशांक शेखर विगत 30 वर्षों से पत्रकारिता, आकाशवाणी व सामाजिक कार्यों से जुड़े हुए हैं साथ ही लघु/फीचर फिल्मों व वृत्त चित्रों के लिए कथा-लेखन का कार्य भी विगत डेढ़ दशकों से कर रहे हैं. मशाल न्यूज़ में पिछले लगभग ढाई वर्षों से कार्यरत हैं.
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