भारत में ‘वैवाहिक बलात्कार’ यानी ‘मैरिटल रेप’ कानून की नज़र में अपराध नहीं है. यानी अगर पति अपनी पत्नी की मर्ज़ी के बगैर उससे जबरन शारीरिक संबंध बनाता है तो उसे अपराध नहीं माना जाता.वैवाहिक बलात्कार (Marital Rape) को अपराध घोषित करने की मांग वाली याचिकाओं का एनजीओ मेन वेल्फेयर ट्रस्ट ने विरोध किया है जो पुरुषों द्वारा संचालित एक गैर-सरकारी संगठन है। उसने कहा कि विवाहित महिलाओं को उनके पति की यौन हिंसा के खिलाफ कानून के तहत पर्याप्त संरक्षण प्रदान किया गया है।
यहाँ दिल्ली उच्च न्यायालय का मानना है कि हमारे देश में वैवाहिक बलात्कार की कोई अवधारणा नहीं है क्योंकि भारतीय कानून इसे अपराध के रूप में मान्यता नहीं देता है। कोर्ट ने कहा कि आईपीसी की धारा 375 के अपवाद वैवाहिक बलात्कार को अपराध की श्रेणी से बाहर करते हैं और यह अनिवार्य करते हैं कि एक पुरुष द्वारा 15 वर्ष से ऊपर अपनी पत्नी के साथ संभोग करना बलात्कार नहीं है।
कोर्ट ने स्पष्ट तौर पर कहा कि सवाल शादीशुदा महिलाओं के पास उपलब्ध विकल्पों का नहीं, इस बात का है कि अविवाहित महिलाओं को भारतीय दंड संहिता की धारा 375 के तहत रेप की शिकायत दर्ज कराने का अधिकार है, लेकिन विवाहित महिलाओं को इसके तहत कोई संरक्षण नहीं मिलता। कोर्ट ने कहा कि रिश्ते के आधार पर गरिमा के सवाल को कमतर नहीं किया जा सकता क्योंकि महिला तो महिला है चाहे वह अविवाहित हो या शादीशुदा। हालांकि इस मामले में कोर्ट ने अभी कोई फैसला नहीं दिया है, यह सिर्फ कोर्ट की टिप्पणी है, लेकिन फिर भी यह महत्वपूर्ण है।
क्या होता है रेप
30 अगस्त 2017 दिल्ली हाई कोर्ट में केंद्र सरकार ने कहा था कि मैरिटल रेप को अपराध नहीं करार दिया जा सकता है और ऐसा करने से विवाह की संस्था अस्थिर हो सकती है. पतियों को सताने के लिए ये एक आसान औजार हो सकता है.”ऐसे में अब सवाल ये उठता है कि ‘रेप’ और ‘मैरिटल रेप’ में क्या फर्क है और विवाह की संस्था का इससे क्या संबंध है? आईपीसी की धारा 375 के मुताबिक़ इन छः परिस्थितियों के आधार पर माना जायेगा कि ये रेप है-
- महिला की मर्जी के बिना
- उसे डरा-धमका कर
- उसे शादी का झांसा देकर
- उसके साथ नशे की हालत में सम्बन्ध बनाकर
- नौकरी का झांसा देकर
- महिला की उम्र अगर 16 साल से कम हो तो उसकी मर्जी से या उसकी सहमति के बिना किया गया सेक्स, अपवाद: पत्नी अगर 15 साल से कम की हो तो पति का उसके साथ सेक्स करना रेप नहीं है.
जानिए क्या है मरिटल रेप
आईपीसी या भारतीय दंड विधान रेप की परिभाषा तो तय करता है लेकिन उसमें वैवाहिक बलात्कार यानी मैरिटल रेप का कोई भी जिक्र नहीं है. धारा 376 में पत्नी से रेप करने की सजा का प्रावधान है बर्शते पत्नी 12 साल से कम की हो. पति पर जुर्माना या उसे दो साल तक की क़ैद या दोनों सजाएं दी जा सकती हैं. 375 और 376 के प्रावधानों से ये समझा जा सकता है कि सेक्स करने के लिए सहमति देने की उम्र तो 16 है लेकिन 12 साल से बड़ी उम्र की पत्नी की सहमति या असहमति का कोई मूल्य नहीं है.
घर की चारदीवारी के भीतर महिलाओं के यौन शोषण के लिए 2005 में घरेलू हिंसा क़ानून लाया गया था. ये क़ानून महिलाओं घर में यौन शोषण से संरक्षण देता है. इसमें घर के भीतर यौन शोषण को परिभाषित किया गया है. हिंदू विवाह अधिनियम यानि हिन्दू मैरिज एक्ट पति और पत्नी के लिए एक दूसरे के प्रति कुछ जिम्मेदारियां तय करता है. इनमें सहवास का अधिकार भी शामिल है. इस क़ानूनन में ये माना गया है कि सेक्स के लिए इनकार करना क्रूरता है और इसको आधार बनाकर तलाक मांगा जा सकता है.
मगर इंसाफ के लिए किसी रिश्ते तोड़ने की जरुरत क्यों होनी चाहिए? सवाल यह है कि क्या रिश्ते में रहते हुए महिलाओं को कानून का संरक्षण हासिल नहीं हो सकता या नहीं होना चाहिए? दुनिया के 50 देशों में मैरिटल रेप को अपराध घोषित किया जा चुका है। हमें भी इस दिशा में कदम बढ़ाने में अब और देर नहीं करनी चाहिए। इस पर आपकी क्या राय है? हमे कमेंट करके जरुर बताये
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