आज से 109 साल पहले 1914 में 376 भारतीयों को लेकर आए एक जापानी जहाज कोमागाटा मारू को कनाडा में प्रवेश नहीं दिया गया था, जिनमें ज्यादातर लोग पंजाब से थे. उस वक्त उन्हें रोकने के लिए 1908 के एक कानून का हवाला दिया गया था, लेकिन लगभग 100 बाद जब कनाडा में हर तरफ भारतीय नजर आने लगे, तब कनाडा के प्रधानमंत्री ने देश की संसद में उस घटना के लिए माफी मांगी थी. यूं तो जहाज़ वाले मामले के बाद बहुत कुछ बदल चुका है, और अब कनाडा भारतीय अप्रवासियों के लिए सबसे पसंदीदा जगह बन चुका है, लेकिन इससे भारत के लिए कई तरह की समस्याएं भी पैदा हो रही हैं.
खालिस्तान के लिए चल रहे अलगाववादी आंदोलन को कनाडा में रह रहे भारतीय मूल के सिखों से समर्थन मिल रहा है. कनाडा में 7,70,000 सिख रहते हैं, जो भारत के बाहर सिखों की सबसे बड़ी आबादी है. इनमें से बहुत-से खालिस्तान के लिए भी काम करते हैं. हरदीप सिंह निज्जर की हत्या के बाद भारत-विरोधी तत्वों की तरफ ध्यान दिया गया है, जिन्होंने कनाडा की ज़मीन पर पनाह ले रखी है. इतना ही नहीं, ये लोग भारत में टारगेट बना-बनाकर हत्याएं करने और करवाने के भी आरोपी हैं.
कई हत्याओं का आरोपी है गोल्डी बरार
पिछले साल सिद्धू मूसेवाला की हत्या हो, या 2021 में लुधियाना कोर्ट में हुआ ब्लास्ट, या हाल ही में पंजाब के मोगा में हुई कांग्रेस नेता की हत्या. ये सभी अपराध कथित तौर पर कनाडा में बसे गैंगस्टरों और आतंकवादियों ने किए हैं. गोल्डी बरार की उमर 29 साल है, और वह 2017 में छात्र वीसा पर कनाडा पहुंचा था. उसी ने कांग्रेस नेता की हत्या की ज़िम्मेदारी ली है. वह नवंबर, 2022 में पंजाब के फरीदकोट में डेरा सच्चा सौदा अनुयायी प्रदीप कुमार की हत्या का भी आरोपी है.
कनाडा सरकार ने कभी नहीं की ठोस कार्रवाई
पिछले तकरीबन एक साल में कनाडा में भारतीय राजनयिकों को धमकियां मिलना और भारतीय दूतावासों के बाहर खालिस्तान समर्थकों द्वारा विरोध प्रदर्शन किया जाना आम हो गया है. खालिस्तानी तत्वों की ऐसी हरकतों पर भारत ने कई बार विरोध दर्ज करवाया है, लेकिन कनाडा सरकार ने कोई ठोस कार्रवाई नहीं की.
2021 की जनगणना के मुताबिक कनाडा की कुल आबादी में सिखों की संख्या लगभग 2.1 फ़ीसदी है और सिख कनाडा में सबसे तेज़ गति से बढ़ता धार्मिक समूह हैं. इनमें कई कनाडाई संसद के सदस्य भी हैं, और यही राजनीतिक मजबूरियां हैं, जिनके चलते हाल के बरसों में कनाडा ने खालिस्तानियों के प्रति अपना रुख नरम किया है.
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