पूर्वी सिंहभूम में 350 रजिस्टर्ड फार्मासिस्ट हैं और 1400 से अधिक दवा दुकानें चल रही हैं। नियमत: हर दवा दुकान में एक फार्मासिस्ट कार्यरत होना चाहिए। बिना फार्मासिस्ट कोई भी दवा दुकान नहीं चल सकती है। ऐसे में जिले में 1050 दवा दुकानों के संचालन पर ड्रग विभाग के अधिकारी चुप हैं। रविवार को गोलमुरी कार्यालय में अखिल भारतीय फार्मासिस्ट एसोसिएशन के सदस्यों ने ये आरोप लगाए।
फार्मासिस्टों ने कहा- सरकार फार्मेसी के लिए अच्छा काम कर रही है लेकिन विभाग में बैठे अधिकारी उसे धरातल पर उतारने में बाधा डाल रहे हैं। इसकी शिकायत स्वास्थ्य विभाग व जिले के उपायुक्त से भी की गई, लेकिन कोई कार्रवाई नहीं हुई। अब पुख्ता प्रमाण के साथ मामले की शिकायत राज्यपाल, मुख्यमंत्री, स्वास्थ्य मंत्री समेत वरीय अधिकारियों से करेंगे। इस पर भी कार्रवाई नहीं होने पर कोर्ट की शरण में जाएंगे।
अच्छे उद्देश्यों के साथ ड्रग विभाग को ऑनलाइन किया गया
फार्मासिस्टों ने कहा- बहुत अच्छे उद्देश्यों के साथ ड्रग विभाग को ऑनलाइन किया गया। शुरुआती दिनों में ऐसा लगा कि अब गलत चीजों को बढ़ावा नहीं मिलेगा। लेकिन ड्रग विभाग के अधिकारियों को कुछ भी गलत नहीं दिख रहा है, जबकि ऑनलाइन सबकुछ मौजूद है। यहां तक कि नन क्वालिफाइड फार्मासिस्टों (फर्जी फार्मासिस्ट) की सूची भी विभाग को दी गई है लेकिन कार्रवाई नहीं हो रही है। इस कारण कई तरह के सवाल उठ रहे हैं। मौके पर अखिल भारतीय फार्मासिस्ट एसोसिएशन के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष शशिभूषण सिंह, संरक्षक शशि प्रसाद, अध्यक्ष पीयूष चटर्जी, महासचिव देवकांत कुमार, धीरेंद्र प्रसाद, प्रवीण कुमार राजू, प्रदीप पंडित, नवीन कुमार, मनीष कुमार, अशोक कुमार, उमेश लाल सहित दर्जनभर सदस्य उपस्थित थे।
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