चांद के दक्षिणी ध्रुवीय क्षेत्र में चंद्रयान-3 की सफल लैंडिंग कर इतिहास रचने के बाद भारत के कदम अब सूर्य की तरफ बढ़ चले हैं। इसरो साइंटिस्ट अब सूर्य के बारे में जानकारी इक्ठ्ठा करने के लिए आज यानी 2 सितंबर 2023 को आदित्य -L1 लॉन्च करने जा रहे हैं। भारत पहली बार सूर्य मिशन लॉन्च करने जा रहा है, जिसको लेकर पूरे देशभर में लोगों के बीच दिलचस्पी देखने को मिल रही है। वहीं इस मिशन को लेकर ISRO में काउंटडाउन शुरू हो चुका है। ऐसे में सूर्य से जुड़े कई सवालों के जवाब जानना बेहद जरुरी हो गया है, तो चलिए सूरज से जुड़े कुछ जरुरी तथ्यों के बारे में आज इस आर्टिकल में जानते हैं।
वहीं अगर बात करें धरती से सूर्य के बीच की दूरी की तो इसका अंदाजा लगाना भी आम लोगों के बस की बात नहीं है। दरअसल, 150 करोड़ किलोमीटर की औसत दूरी से पृथ्वी सूर्य से ठीक एक खगोलीय इकाई दूर है। किसी विमान को इतनी दूरी तय करने में 20 साल से अधिक का समय लगेगा। सूरज को लेकर अक्सर लोगों के मन में एक सवाल जरुर उठता है कि ये इतना गर्म होता है ऐसे में इसके फटने का खतरा तो नहीं, लेकिन ऐसा नहीं है।
रिसर्च के मुताबिक जब इसके मूल में मौजूद सारा हाइड्रोजन जल जाता है, तो यह बाहर निकल जाता है। ऐसे में इसके फटने का खतरा टल जाता है। जानकारी के मुताबिक केंद्र सूर्य का सबसे गर्म हिस्सा है, जिसका तापमान 1.5 करोड़ डिग्री सेल्सियस होता है। हालांकि, जैसे-जैसे सूर्य से केंद्र की दूरी बढ़ती जाती है तापमान में गिरावट आने लगती है। कोर यानी केंद्र में उत्पन्न ऊर्जा को बाहरी परत तक पहुंचने में दस लाख वर्ष तक का समय लगता है।
इस समय तापमान गिरकर लगभग 20 लाख डिग्री सेल्सियस तक पहुंच जाता है। जब तक यह सतह पर आता है तब तक तापमान 5,973 डिग्री सेल्सियस तक कम हो जाता है, लेकिन यह अभी भी इतना गर्म होता है कि हीरा उबल जाए। सूर्य हाइड्रोजन और हीलियम से मिलकर बना एक धधकता हुआ आग का बड़ा सा गोला है। ये हमारे सौर मंडल का एक मात्र तारा है जिसे सौर मंडल का केंद्र माना जाता है।
सूरज का गुरुत्वाकर्षण सौरमंडल को एक साथ बांधे रखता है। हमारे सौर मंडल में सब कुछ इसके चारों ओर घूमता है। सूर्य को सौरमंडल का सबसे बड़ा तारा माना गया है जिसकी केंद्र से सतह तक की दूरी 6,95,508 किलोमीटर है। इसमें पूरे सौर मंडल के द्रव्यमान का 99.86 फीसदी हिस्सा है। आम भाषा में कहें तो सूर्य पृथ्वी से लगभग 100 गुना और सबसे बड़े ग्रह बृहस्पति से लगभग 10 गुना अधिक चौड़ा है। इसका द्रव्यमान इतना है कि सूर्य में लगभग 13 लाख पृथ्वी समा सकती हैं।
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