बिहार की राजनीति कब उथल पुथल हो कह नहीं सकते है। एक ओर जहां महागठबंधन ‘इंडिया’ देश के विपक्षी दलों को एकत्रित करने में लगा हुआ है तो वहीं दूसरी ओर बिहार के राजनीतिक समीकरणों पर नजर डाले तो नीतीश कुमार की सरकार किस ओर कब झुक जाए ये कह पाना कठिन हैं। विपक्षी गठबंधन ‘इंडिया’ में दलों के एकत्रित और सीटों पर मंथन के बीच बिहार गठबंधन में खटपट शुरू हो गई है। हालांकि बिहार के लोगों को इस पर कोई आश्चर्य नहीं हो रहा है।
Is the politics of Bihar going to change? : जेडीयू नेता और बिहार के सीएम नीतीश कुमार का अतीत देख कर पहले से ही यह आशंका बनी हुई। नीतीश कुमार कब पाला बदल लें, कहा नहीं जा सकता। महागठबंधन के साथ उनका जाना ही ‘बेमेल’ है। इसकी वजह भी है। वजह है, जिस आरजेडी के विरोध के बूते नीतीश कुमार बिहार की सत्ता पर काबिज हुए थे, आज वे उसी विरोधी पार्टी की अगुआई वाले महागठबंधन के नेता हैं। तो वहीं कई संकेत ऐसे मिल रहे है कि सीएम नीतीश कुमार जल्द ही बिहार की राजनीति में बड़ा बदलाव कर सकते हैं।
हालही में भारत में हुआ जी20 समिट के रात्रिभोज के लिए पीएम मोदी और राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने कई विपक्षी मुख्यमंत्रियों समेत बिहार के सीएम नीतीश कुमार को भी आमंत्रित किया था। आमंत्रण मिलने के बाद बिहार सीएम नीतीश कुमार जी20 समिट के रात्रिभोज के लिए दिल्ली गए और पीएम मोदी और राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू से मिले। लेकिन जब वह दिल्ली से वापस बिहार आए तो केंद्र सरकार ने बिहार के विकास के लिए खजाना ही खोल दिया। 15वें वित्त आयोग ने वित्तीय वर्ष 2023-24 के लिए बिहार को 3884 करोड़ रुपये की राशि देने की अनुशंसा की थी। केंद्र ने रविवार के दिन पहली किस्त के 1942 करोड़ जारी भी कर दिए।
इस बीच एक नई बात यह सामने आ रही है कि बुधवार को दिल्ली में शरद पवार के आवास पर हो रही विपक्षी दलों की समन्वय समिति की बैठक में जेडीयू के राष्ट्रीय अध्यक्ष राजीव रंजन उर्फ ललन सिंह नहीं जाएंगे। ललन सिंह डेंगू से पीड़ित हैं। समन्वय समिति में आरजेडी से तेजस्वी यादव और जेडीयू से ललन सिंह के नाम हैं। तेजस्वी तो मंगलवार को ही दिल्ली रवाना हो गए, लेकिन ललन सिंह नहीं गए। ललन सिंह के बीमार होने की कोई आधिकारिक सूचना तो सार्वजनिक नहीं हुई है, लेकिन जेडीयू का हर नेता इसे उनकी बीमारी से ही जोड़ कर देख रहा है। इस बीच नीतीश कुमार का राष्ट्रपति की दावत में शिरकत करने से ‘इंडिया’ गठबंधन के नेताओं के कान वैसे ही खड़े हो गए हैं।
बीजेपी ने 2019 के लोकसभा चुनाव में जेडीयू को 17 सीटें दी थीं। इनमें 16 सीटें जेडीयू जीत भी गया था। बीजेपी भी इतनी ही सीटों पर लड़ी थी। इस बार बीजेपी ने सहयोगी दलों की संख्या भी बढ़ा ली है। अपने लिए बीजेपी ने 30 सीटें रखी हैं। अगर सीटों का बंटवारा करना पड़ा तो अपनी सीटों में से आधी सीटें बीजेपी नीतीश कुमार को दे सकती है। इसलिए माना जा रहा है कि नीतीश आखिरकार बीजेपी खेमे के साथ ही हो जाएंगे।
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