भारतीय छात्रों को घंटों लाइन में लगे रहना पड़ रहा है लेकिन नंबर जल्दी नहीं मिल पा रहा है . लाइन में थोड़ा सा टच होने पर धक्का देने लगते थे. भारतीय छात्रों के साथ मारपीट भी की जा रही थी. यूक्रेन में ऐसा भेदभाव पहले कभी नहीं देखा. 27 फरवरी की रात दो बजे पौलेंड का वीजा मिला. सिर्फ लड़ कियों को जाने दिया. पौलेंड में दाखिल होने के बाद कोई दिक्कत नहीं हुई.
उत्तर प्रदेश के झांसी की रहने वाली बिंदु ने कहा की पोलैंड बॉर्डर पहुंचने के लिए बहुत मुश्किल से मुझे दो हजार रुपये में बस की टिकट मिली. बस ने बीच रास्ते में ही मुझे छोड़ दिया. तापमान माइनस में था, सर्दी बर्दाश्त नहीं हो रही थी. मै करीब 45 किलोमीटर पैदल चलकर यूक्रेन-पौलेंड सीमा के चेक पोस्ट पर पहुंची. वहां कहा गया, ‘इंडियन आर नोट अलाउड टू गो’. बिंदु यूक्रेन की टेरनोपिल नेशनल मेडिकल यूनिवर्सिटी में मेडिकल की पढ़ाई कर रही हैं.
बहुत से भारतीय स्टूडेंट्स को पोलैंड में घुसने से रोक दिया गया है.
बॉर्डर पर भारतीयों छात्रों के साथ हो रही परेशानी को लेकर पोलैंड के राजदूत और शिवसेना नेता प्रियंका चतुर्वेदी के बीच ट्विटर पर बहस हुई. प्रियंका चतुर्वेदी ने आरोप लगाया कि बहुत से भारतीय स्टूडेंट्स को पोलैंड में घुसने से रोक दिया गया है. इसके जवाब में पोलैंड के राजदूत एडम बुराकोव्स्की ने कहा की ये बिल्कुल भी सच नहीं है. पोलैंड की सरकार ने यूक्रेन से लगती सीमा से घुसने से किसी को भी मना नहीं किया है.
लेकिन यूक्रेन पर रूस के हमले के बाद ये मुश्किल सिर्फ एक भारतीय छात्रा बिंदु की नहीं है बल्कि यूक्रेन के अलग अलग शहरों में फंसे हजारों भारतीय छात्रों की है. इनमें से एक की गोलीबारी में मौत भी हो गई है.
खारकीएव नेशनल मेडिकल यूनिवर्सिटी में पांच सौ से ज्यादा भारतीय छात्र फंसे हुए हैं.
यूक्रेन के पूर्व में स्थित खारकीएव शहर रूस से करीब 50 किलोमीटर दूर है. वहीं इस शहर की दूरी राजधानी कीएव से करीब 600 किलोमीटर है. खारकीएव से पौलेंड, रोमानिया या हंगरी बॉर्डर पहुंचना भी आसान नहीं है. खारकीएव नेशनल मेडिकल यूनिवर्सिटी में पांच सौ से ज्यादा भारतीय छात्र फंसे हुए हैं. इतनी ही छात्र खारकीएव के पास सुमी शहर में भी हैं.
कुछ जो पिछले पांच दिनों से बंकर में रह रही हैं. उपासना बताती हैं, ”खारकीएव से पोलैंड और हंगरी बॉर्डर पहुंचने के लिए ट्रेन से एक दिन लगता है. लोग बोल रहे हैं कि आप बॉर्डर पर क्यों नहीं जा रहे? यहां डबल मार्शल लॉ लगा हुआ है, शूट एट साइट का ऑर्डर है, ऐसे में हम कैसे बॉर्डर तक जा सकते हैं.
यूक्रेन में फंसे भारतीय छात्रों के मुताबिक भारत के इस रुख की वजह से यूक्रेन के लोगों में आक्रोश है.
पूर्वी यूक्रेन के शहरों में फंसे बच्चों के लिए कुछ नहीं किया जा रहा, यहां तक की एडवाइजरी तक नहीं आती है. पांच दिन से बंकर में फंसे हैं. कैसे बाहर निकाला जाएगा. संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में रूस के यूक्रेन के ख़िलाफ़ हमले के प्रस्ताव पर भारत ने न तो इसके पक्ष में वोट किया था और ना ही इसका विरोध किया था. यूक्रेन में फंसे भारतीय छात्रों के मुताबिक भारत के इस रुख की वजह से यूक्रेन के लोगों में आक्रोश है.
यूक्रेन के लोग बोल रहे हैं कि भारत ने हमारी कोई मदद नहीं की है.
यहां लोग गुस्से में हैं. जो भारतीय छात्र मेट्रो में यूक्रेन के लोगों के साथ रह रहे हैं वहां स्थानीय लोगों के साथ काफी लड़ाई होती है. कई लोगों को बहुत गुस्सा आता है. यूक्रेन के लोग बोल रहे हैं कि भारत ने हमारी कोई मदद नहीं की है. हम भी उन्हें बॉर्डर पार नहीं करवा सकते. हमें सुनने को मिलता है यूक्रेन के सैनिक भारतीयों को देखकर आक्रोश भरा कदम उठाते हैं. बॉर्डर पर भी यूक्रेन आर्मी ने बच्चों के साथ मारपीट की है.
भारत ने न्यूट्रल टेक लिया है UNSC में. भारतीय छात्र के करीब चालीस लोग ग्रुप में एक साथ बॉर्डर पहुंचे थे यूक्रेन के सैनिकों ने उन्हें भगा दिया गया. मजबूरन उन्हें हॉस्टल वापस आना पड़ा. ऐसा व्यवहार यूक्रेन में इससे पहले भारतीयों के लिए नहीं देखा गया था.हालांकि कुछ यूक्रेन के लोग खाने पीने में मदद भी कर रहे हैं’
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