गरीबों, युवाओं, किसानों और MSME के लिए कुछ भी नहीं-राहुल गाँधी
संसद में आम बजट पेश हुआ, केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने मंगलवार को संसद में आम बजट 2022-23 पेश किया। यह मोदी सरकार के दूसरे कार्यकाल का चौथा बजट है। आम बजट में आयकर दरों में कोई बदलाव नहीं किया गया है। युवाओं, मध्य वर्ग, गरीबों के लिए सरकार ने कोई ऐलान नहीं किया है। कांग्रेस ने इस बजट को निराशाजनक करार दिया है।
कांग्रेस सांसद राहुल गांधी ने आम बजट को निराशजनक बताते हुए कहा है कि इस बजट में नौकरीपेशा, मध्य वर्ग, गरीबों, युवाओं, किसानों और MSME के लिए कुछ भी नहीं है।
‘अच्छे दिनों‘ के आने के लिए हमें 25 साल और इंतजार करना होगा- शशि थरूर
शशि थरूर ने कहा कि इस बजट में कुछ भी नहीं है। यह निराशाजनक बजट है। इसमें मनरेगा, रक्षा, जनता के सामने आने वाली किसी भी अन्य जरूरी प्राथमिकताओं का कोई उल्लेख नहीं होता है। उन्होंने कहा है कि हम भयानक मुद्रास्फीति का सामना कर रहे हैं, लेकिन मध्यम वर्ग के लिए इसमें कोई कर राहत नहीं है। यह एक ऐसा बजट है जो ‘अच्छे दिनों’ की मृगतृष्णा को और भी दूर धकेलता दिख रहा है। अब भारत 100 पर है, ‘अच्छे दिनों’ के आने के लिए हमें 25 साल और इंतजार करना होगा।
शशि थरूर ने आगे कहा, “जहां तक डिजिटल मुद्रा का संबंध है, सरकार उस दिशा में आगे बढ़ रही है। मेरी जानकारी के अनुसार एक उचित प्रस्ताव है, मुझे नहीं लगता कि हम इसकी आलोचना करेंगे, लेकिन हम बजट में आम नागरिकों के लिए सामग्री की कमी के बारे में अधिक चिंतित हैं।
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एक पेगासस स्पिन बजट-ममता बनर्जी
पश्चिम बंगाल की सीएम ममता बनर्जी ने कहा है कि बेरोजगारी और महंगाई की मार झेल रहे आम लोगों के लिए केंद्रीय बजट में शून्य है। सरकार बड़े शब्दों में खो गई है, जिसका कोई मतलब नहीं है, एक पेगासस स्पिन बजट है।
महामारी में सबसे अधिक मुनाफा कमाने वालों पर अधिक कर क्यों नहीं लगाया गया-माकपा
मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी (माकपा) ने आज मंगलवार को आरोप लगाया कि आम बजट में नौकरियों के सृजन एवं शहरी रोजगार गारंटी का उल्लेख नहीं किया गया और मनरेगा के बजट में भी बढ़ोतरी नहीं हुई, जो युवाओं की जीविका पर ‘आपराधिक प्रहार’ है. माकपा के महासचिव सीताराम येचुरी ने ट्वीट किया, ”बजट किसके लिए है? सबसे अमीर 10 प्रतिशत भारतीय देश की कुल संपत्ति के 75 प्रतिशत के स्वामी हैं. नीचे के 60 प्रतिशत लोग सिर्फ पांच प्रतिशत संपत्ति के मालिक हैं. महामारी के दौरान सबसे अधिक मुनाफा कमाने वालों पर अधिक कर क्यों नहीं लगाया गया?
शशांक शेखर विगत 30 वर्षों से पत्रकारिता, आकाशवाणी व सामाजिक कार्यों से जुड़े हुए हैं साथ ही लघु/फीचर फिल्मों व वृत्त चित्रों के लिए कथा-लेखन का कार्य भी विगत डेढ़ दशकों से कर रहे हैं. मशाल न्यूज़ में पिछले लगभग ढाई वर्षों से कार्यरत हैं.
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