जसवा की 20वीं राष्ट्रीय परिषद बनारस में सम्पन्न
‘सम्पूर्ण क्रान्ति विचारधारा’ के प्रतिनिधि संगठन ‘जनमुक्ति संघर्ष वाहिनी’ (जसवा) की 20 वीं राष्ट्रीय परिषद बनारस में राजघाट स्थित ‘सर्व सेवा संघ’ परिसर में आज 14 नवम्बर को अन्तिम ‘संकल्प-सत्र’ के साथ सम्पन्न हुई।
देश के मौजूदा हालात चिन्तनीय
जसवा की राष्ट्रीय परिषद के उद्घाटक सत्र में विभिन्न प्रदेशों से आए हुए प्रतिनिधियों का स्वागत करते हुए निवर्तमान राष्ट्रीय संयोजक जयन्त ने देश के मौजूदा हालात पर गहरी चिन्ता जताई। उन्होंने केन्द्रीय सत्ता पर काबिज मौजूदा भाजपा सरकार द्वारा संविधान की भरपूर उपेक्षा करने और लोकतन्त्र को अपने मनमाने रवैये से कमज़ोर करने के अनेक उदाहरण रखते हुए कहा कि जब मामूली असहमति जताना भी राष्ट्रद्रोह मान लिया जाए, तब देश की जनता को जनतान्त्रिक तरीके से ऐसी सत्ता को बदलने की तैयारी करनी ही चाहिए !
बेरोज़गारी का समाधान निकालने में सरकार पूरी तरह नाकाम
देश के विभिन्न प्रदेशों से आए प्रतिनिधियों के वक्तव्यों से यह बात उभरकर आई कि देश के मौजूदा हालात बेहद चिन्ताजनक हैं। इस साल के शुरू से ही 6 फ़ीसदी की रिज़र्व बैंक की सीमा तोड़कर महँगाई बेकाबू है। बेरोज़गारी का कोई समाधान निकालने में यह सरकार पूरी तरह नाकाम रही है। मौजूदा राजनीतिक सत्ता ने भारतीय समाज की सामाजिक-सांस्कृतिक बहुरंगी एकता को नफ़रत और विद्वेष की राजनीति के ज़रिए ज़बर्दस्त नुकसान पहुँचाया है। चुनाव आयोग जैसी तमाम संवैधानिक संस्थाएँ निष्पक्ष सन्तुलन बनाए रखने में साफ़ तौर पर नाकामयाब हैं।
देश में ईडी, सीबीआई और एनआईए का भरपूर दुरुपयोग
ईडी, सीबीआई और एनआईए का भरपूर दुरुपयोग किसी से छिपा नहीं है। प्रदेशों की सत्ता में कहीं भी मौजूद विपक्षी दलों या गठबन्धनों की सरकारों को अस्थिर करने, और उन्हें तोड़कर भाजपा की या उसके समर्थन पर टिकी सरकार में बदल देने की भ्रष्ट तरकीब भाजपा विकसित कर चुकी है। यह आम राय थी कि मौजूदा सत्ताधारी निज़ाम को बदलने की तैयारी बहुत ज़रूरी है।
प्रस्ताव सर्वसम्मति से पारित
इस सन्दर्भ में व्यापक राजनैतिक-सांस्कृतिक बदलाव की तैयारी को महसूस करते हुए जसवा की राष्ट्रीय परिषद में मन्थन द्वारा प्रस्तुत प्रस्ताव को सर्वसम्मति से पारित किया गया । ‘जसवा की राष्ट्रीय परिषद मौजूदा परिस्थिति के विश्लेषण के आधार पर यह मानती है कि राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ और भाजपा का मौजूदा राजनैतिक-सांस्कृतिक प्रभुत्व भारतीय संविधान, लोकतन्त्र और सामान्य जनजीवन के लिए विनाशकारी है। मौजूदा शासन और कुछ चुनिन्दा पूँजीपतियों का गिरोहबन्द गठजोड़ देश के आर्थिक-सामाजिक जीवन को बर्बाद कर रहा है।
सत्ता के ख़िलाफ़ राजनैतिक स्तर पर निरन्तर विरोध आवश्यक
ऐसी स्थिति में मूल्यों की रक्षा के लिए, और सकारात्मक बदलाव की सम्भावना को बचाने के लिए भी इस सत्ता के ख़िलाफ़ राजनैतिक स्तर पर निरन्तर विरोध आवश्यक है। 2024 में भाजपा को हराना हमारी प्राथमिक चुनौती है। इसके लिए भाजपा के विरोध में एकजुट विपक्षी उम्मीदवार की सम्भावना बनाना तथा स्पष्ट रूप से सीधे मुकाबले वाले उम्मीदवार के पक्ष में भूमिका लेना है।
अन्य समन्वय सम्भावनाओं के प्रति भी दृष्टि खुली
इस दिशा में हो रहे व्यापक और समन्वयकारी प्रयासों – जैसे ‘संघर्ष वाहिनी समन्वय समिति’ और ‘लोकतान्त्रिक राष्ट्रनिर्माण अभियान’ जैसे मोर्चों में योगदान करना है, उन्हें सक्रिय और नैतिक समर्थन देना है। जसवा नई विकसित हो रही अन्य समन्वय सम्भावनाओं के प्रति भी दृष्टि खुली रखेगी।’
सहमना क्षेत्रीय संगठनों के साथ सहयोग और मासिक बुलेटिन के प्रकाशन का निर्णय
राष्ट्रीय परिषद में भविष्य के लिए संगठन सम्बन्धी कुछ अन्य फ़ैसले भी लिए गए, जिनमें सहमना क्षेत्रीय संगठनों के साथ सहयोग और मासिक बुलेटिन के प्रकाशन का निर्णय लिया गया। 2025 में ‘सम्पूर्ण क्रान्ति विचारधारा’ की स्वर्ण-जयन्ती के अवसर पर ‘पचास साला समारोह’ आयोजित करने, और इस मौके पर वाहिनी के वैचारिक और आन्दोलनात्मक दस्तावेजों को संकलित कर उनके प्रकाशन का भी फ़ैसला लिया गया।
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राष्ट्रीय परिषद का पुनर्गठन
परिषद के समापन-सत्र में जनमुक्ति संघर्ष वाहिनी (जसवा) की राष्ट्रीय परिषद का पुनर्गठन किया गया। पुनर्गठित 24-सदस्यीय राष्ट्रीय कार्यकारिणी का संयोजक ज्ञानेन्द्र कुमार (महाराष्ट्र) और सह-संयोजक अनन्ता (ओड़िशा) को चुना गया। जसवा के नवनिर्वाचित राष्ट्रीय संयोजक ज्ञानेन्द्र कुमार के समापन वक्तव्य के साथ परिषद का औपचारिक समापन हुआ, जिसमें उन्होंने जसवा के साथियों को परिषद में लिए गए निर्णय के मुताबिक भविष्य में निर्णायक भूमिका निभाने के लिए कमर कस कर जुटने का आह्वान किया।
‘सम्पूर्ण क्रान्ति आन्दोलन’
ज्ञातव्य है कि 1974 के बिहार आन्दोलन को लोकनायक जयप्रकाश नारायण ने जब ‘सम्पूर्ण क्रान्ति आन्दोलन’ का स्वरूप दिया, तो उन्होंने ‘सम्पूर्ण क्रान्ति’ के लक्ष्य को हासिल करने के लिए ‘छात्र-युवा संघर्ष वाहिनी’ नामक संगठन की स्थापना की थी। इसी संगठन के तीसोत्तर साथियों ने ‘सम्पूर्ण क्रान्ति’ विचार की धारावाहिकता के साथ 1989 में खुद को ‘जनमुक्ति संघर्ष वाहिनी’ के रूप में पुनर्गठित किया था।
बनारस में सम्पन्न जसवा की 20वीं राष्ट्रीय परिषद में प्रमुख रूप से 5 प्रदेशों – महाराष्ट्र, ओड़िशा, झारखण्ड, बिहार और उत्तर प्रदेश से प्रतिनिधि शामिल हुए।
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शशांक शेखर विगत 30 वर्षों से पत्रकारिता, आकाशवाणी व सामाजिक कार्यों से जुड़े हुए हैं साथ ही लघु/फीचर फिल्मों व वृत्त चित्रों के लिए कथा-लेखन का कार्य भी विगत डेढ़ दशकों से कर रहे हैं. मशाल न्यूज़ में पिछले लगभग ढाई वर्षों से कार्यरत हैं.
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