सतलुज-यमुना लिंक नहर विवाद में सुप्रीम कोर्ट ने दखल दिया है. सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को पंजाब सरकार को सतलुज और यमुना नदियों को जोड़ने वाली नहर के अपने हिस्से के निर्माण के 21 साल पुराने निर्देश की अनदेखी करने के लिए फटकार लगाई और अदालत ने पंजाब सरकार को कोर्ट की मर्यादा का पालन करने की हिदायत दी. न्यायमूर्ति एसके कौल की अगुवाई वाली पीठ ने पंजाब सरकार से कहा कि उसे सर्वोच्च न्यायालय की मर्यादा को स्वीकार करना होगा. अब तक नहर का निर्माण नहीं किए जाने पर सुप्रीम कोर्ट ने सख्त लहजे में कहा कि हमें कठोर आदेश देने पर मजबूर ना करें.
सतलुज-यमुना लिंक नहर विवाद पर पंजाब के नहर निर्माण ना करने पर सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि हमें कठोर आदेश देने पर मजबूर न करें और पंजाब सरकर कोर्ट की मर्यादा का पालन करे. सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि दो दशक से सतलुज-यमुना लिंक नहर के निर्माण न होने से हम चिंतित हैं. सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र को जिम्मेदैरी सौंपते हुए कहा कि पंजाब में सतलुज-यमुना नहर लिंक के लिए अधिग्रहित जमीन वापस ना लौटाई जाए और केंद्र जमीन का सर्वे करे.
इतना ही नहीं, सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार से यह भी कहा कि केंद्र यह भी बताए कि कितना निर्माण कार्य पूरा हो चुकी हा. इस बीच केंद्र सरकार सुलह को लेकर दोनों राज्यों के बीच बात करते रहे. सुप्रीम कोर्ट कहा कि केंद्र सरकार पानी की मौजूदा स्थिति को लेकर भी अदालत को अवगत कराए. फिलहाल, सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र को इस काम के लिए दो महीने का वक्त दिया है. अब सुप्रीम कोर्ट जनवरी 2024 में मामले की सुनवाई करेगा.
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