
मणिपुर और पश्चिम बंगाल की जनता के साथ किया एकजुटता कार्यक्रम
साकची में आज सोमवार को बिरसा मुंडा चौक पर भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (मार्क्सवादी) [माकपा ] ने मणिपुर और पश्चिम बंगाल की पीड़ित जनता के साथ एकजुटता प्रदर्शन करते हुए एक नुक्कड़ सभा का आयोजन किया । मणिपुर और पश्चिम बंगाल दोनों राज्यों में सत्ता प्रायोजित और योजनाबद्ध हिंसा के विरोध में प्रधानमंत्री और पश्चिम बंगाल के मुख्यमंत्री के पुतले भी जलाए गए।
सभा में वक्ताओं ने मणिपुर की घटना-विकास पर क्षोभ व्यक्त करते हुए कहा कि राज्य में तथाकथित डबल इंजन सरकार न केवल जनता के जीवन और आजीविका की रक्षा करने में विफल रही, बल्कि कॉर्पोरेट की सेवा के लिए निहित स्वार्थ से हिंसा को प्रायोजित करने और संविधान के अनुच्छेद 371 सी के कवरेज को कमजोर करने में उनकी भूमिका रही। यह भी बताया गया कि सत्तारूढ़ दल विभाजन और नफरत की राजनीति के माध्यम से चुनावी लाभ के उद्देश्य से किए गए कारनामों के कारण मणिपुर 3 मई, 2023 से जातीय हिंसा की चपेट में है, जिसके कारण 100 से अधिक लोगों की मौत हो गई, घर, धार्मिक स्थान और आजीविका नष्ट हो गई।
केंद्र सरकार भी राज्य में सामान्य स्थिति वापस लाने में पूरी तरह विफल
भाजपा शासित राज्य और केंद्र सरकार राज्य में सामान्य स्थिति वापस लाने में पूरी तरह विफल रही है। राज्य, पड़ोसी राज्यों के साथ-साथ म्यांमार में शरणार्थी शिविरों में एक लाख से अधिक लोग अमानवीय परिस्थितियों में रह रहे हैं। प्रधानमंत्री चुप्पी साधे हुए हैं और यहां तक कि गृह मंत्री ने भी हिंसा के 26 दिनों के बाद ही राज्य का दौरा किया। संकट को हल करने के लिए ईमानदारी से प्रयास करने के बजाय, वे उन आवाज़ों को दबाने की कोशिश कर रहे हैं जो उनकी विफलता पर सवाल उठा रही हैं।
सत्ता प्रायोजित हिंसा का एक और ज्वलंत उदाहरण पश्चिम बंगाल में
सभा में वक्ताओं ने कहा कि दूसरी तरफ सत्ता प्रायोजित हिंसा का एक और ज्वलंत उदाहरण पश्चिम बंगाल में देखा जा रहा है, जहां न केवल मतदान प्रक्रिया के हर चरण में उम्मीदवारों, विपक्षी दलों के समर्थकों पर हमले हुए, मतदाताओं को मतदान केंद्रों पर जाने से रोका गया, मतपेटियों और मतदान केंद्रों पर कब्जा किया गया और मतदान प्रक्रिया में बड़े पैमाने पर हेरफेर किया गया, वल्कि जब यह महसूस किया गया, कि कई स्थानों पर मतदान उनके पक्ष में नहीं गया, विपक्षी दलों के मतगणना एजेंटों को बाहर निकालने, विपक्षी उम्मीदवारों के मतपत्रों को नष्ट करने और परिणामों में हेराफेरी करने से लेकर मतगणना प्रक्रिया में बड़े पैमाने पर हेरफेर किया गया। ऐसी कई रिपोर्टें हैं कि निर्वाचित उम्मीदवारों को दिया गया निर्वाचन प्रमाण पत्र को टीएमसी के गुंडों द्वारा छीन कर नष्ट कर दिया गया ।
चुनाव की एक और परेशान करने वाली विशेषता सत्तारूढ़ दल के साथ उसके सभी अवैध कार्यों में राज्य प्रशासन और पुलिस की मिलीभगत रही है। राज्य चुनाव आयुक्त की भूमिका सर्वत्र पक्षपातपूर्ण रही है। सभी पंचायती संस्थाओं पर कब्जा करने की टीएमसी की मुहिम में लोकतंत्र की हत्या कर दी गई है।
नफरत की राजनीति का सीपीएम तथा अन्य वामपंथी ताकतें विरोध जारी रखेंगी
दो राज्यों की घटनाओं के बीच संबंध यह है कि दोनों राजनीतिक दल एक तरफ लोकतांत्रिक संस्थानों और मूल्यों को खत्म कर रहे हैं और दूसरी तरफ दोनों राजनीतिक दल चुनावी बांड के माध्यम से कॉर्पोरेट सहायता के मुख्य लाभार्थी हैं, चुनावी बांड की शुरूआत से भाजपा को 5270 करोड़ रुपये और तृणमूल को 767 करोड़ रुपये मिले, जो राजनीतिक दलों को कॉर्पोरेट सहायता का 66% है। बीजेपी एवं तृणमूल कांग्रेस की क्रूर और अलोकतांत्रिक हमले एवं कारपोरेट परस्त रवैया के साथ-साथ नफरत एवं घृणा की राजनीति का सीपीएम तथा अन्य वामपंथी ताकतें विरोध जारी रखेंगी।
सभा में कॉमरेड जेपी सिंह, विश्वजीत देव, नागराजू, गुप्तेश्वर सिंह एवं पियूष गुप्ता ने भी अपना वक्तव्य रखा। सभा में सईद अहमद, केपी सिंह, अशोक शुभदर्शी, एसके उपाध्याय, तिमिर, दीप आदि नेता भी मौजूद थे.

शशांक शेखर विगत 30 वर्षों से पत्रकारिता, आकाशवाणी व सामाजिक कार्यों से जुड़े हुए हैं साथ ही लघु/फीचर फिल्मों व वृत्त चित्रों के लिए कथा-लेखन का कार्य भी विगत डेढ़ दशकों से कर रहे हैं. मशाल न्यूज़ में पिछले लगभग ढाई वर्षों से कार्यरत हैं.
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