टाटा स्टील के ट्राइबल कॉन्क्लेव संवाद-2022 के आगाज के साथ गोपाल मैदान बिष्टुपुर में एक बार फिर आदिवासियत की खासियत दिखी. 501 नगाड़ों की थाप और सकवा-भेर वाद्ययंत्रों की स्वरलहरियों पर पूरा मैदान झूमता रहा. देश-दुनिया से आये जनजातीय समुदायों के प्रतिनिधियों ने नगाड़ों की बीट पर नृत्य कर जनजातीय संस्कृति की झलक बिखेरी. आम तो आम, खास भी अपने आप को रोक नहीं पाए. उन्होंने आदिवासी कलाकारों के साथ संगत की.
शाम 6 बजे उदघाटन समारोह का शुभारंभ हुआ. सबसे पहले विभिन्न जनजातीय समूहों से आए नेताओं ने बिरसा मुंडा को श्रद्धा सुमन अर्पित किया. श्रद्धा सुमन अर्पित करने वालों में बैजु मुर्मू, गणेश पिंगुआ, दशरथ हांसदा, पूजर कोनाड़ी, उत्तम सिंह सरदार, कानूराम मार्डी, अनुज सोरेन शामिल थे. उदघाटन समारोह के मुख्य अतिथि टाटा स्टील के स्वतंत्र निदेशक दीपक कपूर ने संवाद का औपचारिक उदघाटन किया. मौके पर कार्यकारी निदेशक कौशिक चटर्जी और वीपीसीएस चाणक्य चौधरी भी मौजूद थे.
संथाली प्रार्थना से शुभारंभ
उदघाटन समारोह का शुभारंभ संथाली प्रार्थना से हुआ. बांसूरी की मोहक आवाज और नगाड़ों की थाप पर समवेत स्वर में कलाकारों ने अपने पूर्वजों और प्रकृति की अराधना की. सीतारामडेरा की उरांव नृत्य टीम ने जावां नृत्य की प्रस्तुति कर संवाद की शुरूआत की. हर धार्मिक अनुष्ठान की शुरूआत में होने वाले इस नृत्य में कलाकारों ने माहौल को एक अलग रंगत दी. इसके बाद नगाड़ों की धुन पर मंच का शुद्धिकरण हुआ. साथ ही जावा का अनावरण हुआ.
19 नवंबर तक चलेगा
15 से 19 नवम्बर के बीच चलने वाले इस जनजातीय सम्मेलन में इस साल देश भर की 186 जनजातियों के 2500 से अधिक प्रतिनिधि शिरकत कर रहे हैं. इसमें 23 राज्यों और 4 केंद्र शासित प्रदेशों के 27 विशेष रूप से कमजोर जनजातीय समूहों (पीवीटीजी) सहित 200 जनजातियों के प्रतिनिधि शिरकत करेंगे.
नौ साल में संवाद-2022 सस्टेनेबल प्लेटफॉर्म बन गया है : चाणक्य चौधरी
टाटा स्टील के वीपीसीएस चाणक्य चौधरी ने कहा कि नौ साल में संवाद एक सेल्फ सस्टेनेबल प्लेटफॉर्म बन गया है. इस मंच ने कई शोधार्थियों को सामने लाया है, जो जनजातीय कला और संस्कृति के पोषण और उसे आगे बढ़ाने का काम कर रहे हैं. ये शोधार्थी आदिवासी कला के साथ ही भाषा पर काम कर रहे हैं और इसे नई पहचान दे रहे हैं. देश भर से आने वाले जनजातीय समुदाय अपनी कहानियों को शेयर करते हैं. यही नहीं प्राकृतिक चिकित्सा पद्धति को हीलर्स प्रदर्शित कर रहे हैं, जो आज भी प्राकृतिक जीवन जीने की प्रेरणा है. टाटा स्टील का काम जनजातीय समुदाय की कला, संस्कृति और परम्परा को समृद्ध बनाने में मदद करना है. संवाद एक बड़ा मंच बना है, जो आदिवासी संस्कृति को दुनिया के सामने ला रहा है.
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