यूनाइटेड फोरम ऑफ बैंक यूनियन: आज जब पूरा देश स्वतंत्रता की 75वीं वर्षगांठ मना रहा है,देश को आगे बढ़ने के लिए, अपनी अर्थव्यवस्था को और मजबूत करने की जरूरत है और इस कार्य में हमारे सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों को महत्वपूर्ण भूमिका निभानी है। लेकिन दुर्भाग्य से सरकार सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों की भूमिका को कम करने की इच्छुक है और निजी बैंकों को प्रोत्साहन करना उनका मुख्य एजेंडा है। सार्वजनिक क्षेत्र का निजीकरण करना है और बैंकों को उन्हें वापस कॉरपोरेट्स को सौंप देना है। ज्ञात हो की 1969 के पूर्व आज के सार्वजनिक क्षेत्र के बैंक निजी/कॉरपोरेट हाथों में थे। ये उपाय प्रतिगामी हैं और लोगों के हित में नहीं हैं. आम लोगों की गाढ़ी कमाई की बचत बैंकों के पास होती जमा होती हैl
इसलिए, हम इन कदमों और प्रयासों का विरोध करते रहे हैं। विगत वर्ष, UFBU के आह्वान पर, बैंक कर्मचारियों और अधिकारियों ने 4 दिनों की हड़तालें कीं जिनमें 15 और 16 मार्च और 16 और 17 दिसंबर, 2021 को हड़ताल की गई थी। हमारी आम जनता से अपील है बैंकों के निजीकरण के लिए अपना विरोध और आक्रोश व्यक्त करें। ऐसी खबरें हैं कि आगामी मानसून सत्र के दौरान इस महीने की 18 तारीख से शुरू हो रही संसद सत्र में सरकार बैंकिंग कानून संशोधन विधेयक पेश करने जा रही है,जिससे बैंको के निजीकरण में सरकार सक्षम हो जाएगीऔर संसद के इस सत्र में इसे पारित कराने का प्रयास करेंगी।
इसलिए, यूएफबीयू की पिछली बैठक में यह निर्णय लिया गया कि हमारा अभियान सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों के निजीकरण की कोशिशों के खिलाफ संघर्ष तेज किया जाए और हमें राष्ट हित के इस उद्देश्य की पूर्ति लिए सभी से अधिक से अधिक समर्थन मांगने का प्रयास किया जायेगा।
इस पृष्ठभूमि में कार्यान्वयन के लिए निम्नलिखित कार्यक्रम दिए गए हैं: हमारे सभी संघों द्वारा:
- 17 जुलाई 2022 – बैंकों के निजीकरण का विरोध करने वाला ट्विटर अभियान। जो बीते कल हुआ।
- 19 जुलाई, 2022 – जनसभाएं, जुलूस, रैलियां, जनता बैंकों और उनके राष्ट्रीयकरण की सराहना करने वाले सभी केंद्रों पर बैठकें आदि बैंको के उपलब्धियों का प्रचार प्रसार और बैंकों के निजीकरण का विरोध।
- 21 जुलाई, 2022 – नेताओं और UFBU के संघटक संघों के कार्यकर्ता द्वारा संसद के समक्ष सामूहिक धरना ।
- संसद सत्र के दौरान की घटनाओं को देखते हुए अल्प सूचना पर हड़ताल का आह्वान।
साथियों, सरकार की नीतियों और मानसिकता से हम सभी वाकिफ हैं। इसलिए, केवल एक मजबूत समर्थक विशाल शाखा विस्तार के साथ, बैंकिंग सेवाएं आज आम जनता को उपलब्ध है।
बैंक राष्ट्रीयकरण के परिणामस्वरूप भारी संख्या में शिक्षित युवाओं के लिए रोजगार का अवसर प्राप्त हुआ है, आज इन बैंकों में लाखों बैंक कर्मचारी और अधिकारी कार्यरत हैं।इसलिए, निजीकरण के कदमों का कड़ा विरोध और विरोध ही होगा सरकार के प्रयासों के प्रति अपना विरोध व्यक्त करें। अत: हम सभी से निवेदन करते हैंहमारी इकाइयों को सभी स्तरों पर हमारे अभियानों को तेज करने और अंतिम लड़ाई के रूप में हड़ताल की कार्रवाई के लिए तैयार रहने का आह्वाहन किया गया है।
यूनाइटेड फोरम ऑफ बैंक यूनियन ने कहा कि इस राष्ट्रहित के संघर्ष में लोकतंत्र के चौथे स्तंभ “मीडिया” की भागीदारी अत्यधिक महत्वपूर्ण हो जाती है,अतः आप पत्रकार बंधुओं से आग्रह है की बैंक का राष्ट्रीयकरण बचाए रखने के लिए बैंक कर्मचारियों और अधिकारियों के संघर्ष में शामिल होकर आम जनता के बीच हमारे विचारों का प्रचार प्रसार करने में अपनी महत्वपूर्ण भागीदारी सुनिश्चित करें ,इसके लिए हम “यू एफ बी यू” के प्रतिनिधि आपके आभारी रहेंगे,आनेवाले दिनों में भी आप सभी का सहयोग हमें प्राप्त होगा हमारा विश्वास है। आज के इस प्रेस वार्ता में ए आई बी ई ए के कॉम हीरा अरकने,कॉम सपन अदख,कॉम अमिताभ घोष ए आई बि ओ सी के सुब्रतो घोष, बी ई एफ आई* के कॉम डी एन सिंह,कॉम सुजय राय उपस्थित रहे और प्रेस के साथियों को संबोधित किया।
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