दिवंगत शिक्षाविद् प्रोफेसर दिगम्बर हांसदा के जंयती 16 अक्टूबर को आदिवासी एकता मंच और विभिन्न ग्राम के ग्राम सभाओं ने किया पत्थलगड़ी डोभापानी निवासी रहे , स्व दिंगबर हांसदा को वर्ष 2018 में भारत के तत्कालीन राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद के हाथों से पद्मश्री अवार्ड मिला था यह सम्मान उन्हें शिक्षा और साहित्य के क्षेत्र में उत्कृष्ट कार्य के लिए मिला था उन्होंने संथाली भाषा और समाज में शिक्षा को बढ़ावा देने के में महत्वपूर्ण काम किया था।
प्रोफ़ेसर के लड़के सुदीप हांसदा ने उनका जीवन -वृत बताया
16 अक्टूबर 1939 को पूर्वी सिंहभूम जिला के एमजीएम थाना अंतर्गत बेको पंचायत के डोभापानी गांव में जन्में स्वर्गीय हांसदा करनडीह के सरजोम टोला में रहते थें उनके प्रथमिक शिक्षा राजदोहा मिडिल स्कूल से हुई थी जबकि उन्होंने मैट्रिक बोर्ड की परीक्षा मानपुर हाई स्कूल से दी थी , उन्होंने 1963 में रांची यूनिवर्सिटी से राजनीति विज्ञान में स्नातक और 1965 में एम.ए किया वह लंबे समय तक करनडीह स्थित एलबीएसएम कॉलेज में शिक्षक रहते हुए टिस्को आदिवासी वेलफेयर सोसाइटी से जुड़े रहें
इनकी पत्नी पार्वती हांसदा का स्वर्गवास पहले ही हो चुका हैं।
ये अपने पीछे 2 पुत्र पुरन व कुंवर और दो पुत्री सरोजनी वा मायनो समेत भरा पूरा परिवार छोड़ गए हैं इनकी पुत्री तुलसी का अभी निधन हो चुका है।
साहित्य अकादमी के सदस्य भी रहे
प्रोफ़ेसर हसदा आदिवासियों और उनकी भाषा के उत्थान में महत्वपूर्ण योगदान है वह केंद्र सरकार के जनजातीय अनुसंधान संस्थान और साहित्य अकादेमी के सदस्य भी रहे हैं उन्होंने कई पाठ्य पुस्तकों का अनुवाद देवनागरी से संथाली में किया था, उन्होंने इंटरमीडिएट स्नातक और स्नातकोत्तर के लिए संथाली भाषा का कोर्स बनाया। भारतीय संविधान का संथाली भाषा की ओलचिकी लिपि में अनुवाद किया था।
आदिवासियों के सामाजिक व आर्थिक उत्थान के लिए पश्चिम बंगाल और उड़ीसा में काम किया
प्रोफेसर हांसदा कोल्हान विश्वविद्यालय के सिंडिकेट भी रहे, वर्ष 2017 में दिगंबर हसदा आईआईएम बोध गया की प्रबंधक समिति के सदस्य बनाए गए थे, प्रोफेसर हांसदा ज्ञानपीठ पुरस्कार चयन समिति (संथाली भाषा) के सदस्य रहे हैं सेंट्रल इंस्टीट्यूट ऑफ इंडियन लैंग्वेज मैसूर, ईस्टर्न पलैंग्वेज सेंटर भुवनेश्वर में संथाली साहित्य के अनुवादक ,आदिवासी वेलफेयर सोसाइटी जमशेदपुर ,दिशोम जाहेर कमेटी जमशेदपुर एवं आदिवासी वेलफेयर आफ जमशेदपुर के अध्यक्ष रहे ,जिला साक्षरता समिति एवं साहित्य सिलेबस कमिटी झारखंड के आदिवासियों के सामाजिक व आर्थिक उत्थान के लिए पश्चिम बंगाल और उड़ीसा में काम भी किया
कार्यक्रम में मुख्यरूप से डोभा पानी के माझी बाबा राइसन हासदा, जेकब किस्कू, दीपक रंजीत, धीरेन हांसदा, तुलसी मुर्मू, जेकब किस्कू, दिनोबन्धु सिंह सरदार, सोबेन हांसदा, शंकर सरदार, देबा सोरेन, मार्शल मुर्मू, बिकास हेम्ब्रम, बादल धोरा, बेंगाल सोरेन आदि उपस्थित थे.
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