कोल्हान के तीनों जिलों में 400 हेक्टेयर से अधिक गैर मजरूआ आम, खास और केसर ए हिंद जमीन पर कब्जा है। ऐसे मामलों के निपटारे के लिए नए सिरे से नीति का निर्धारण होगा। इसकी सूची तैयार की जा रही है। भू-राजस्व, निबंधन एवं भूमि सुधार विभाग नए सिरे से अवैध, संदेहास्पद जा की समस्याओं का निपटारा करने में लगा है।
नई नीति को लेकर तमिलनाडु, बिहार, छत्तीसगढ़, आंध्रप्रदेश, ओडिशा पश्चिम बंगाल सहित कई राज्यों की नीति को मंगवाया गया है। अधिकारियों की टीम इसका लगातार अध्ययन कर रही है। दो दर्जन से अधिक निर्देश, पर नहीं हुआ समाधान। गैरमजरूआ आम, गैरमजरूआ खास, केसर ए हिंद भूमि के संबंध में विभिन्न आदेश जारी किए गए हैं। तीन सितंबर 1985 को बिहार सरकार का एक आदेश आया था, जिसमें गैरमजरूआ खास जमीन पर रैयती दावे की मान्यता देने के संबंध में था।
इसके बाद 9 दिसंबर 1998 को भू-राजस्व सचिव बिहार सरकार का आदेश आया जो गैरमजरूआ आम या खास भूमि की जमाबंदी रद्द करने के संबंध में था। 13 मई 2016 को झारखंड के स्तर से आदेश निकला, जिसमें कहा गया कि अवैध, संदेहास्पद जमाबंदी को अभियान चलाकर जांच करने एवं समयबद्ध प्रभावकारी कदम उठाते हुए अवैध जमाबंदी को रद्द किया जाए। इस समस्या के समाधान के लिए एक विशेष कमेटी बनाई गई है, जो विभिन्न राज्यों के भूमि संबंधी अधिनियमों का अध्ययन कर रही है। इसके पहले सभी प्रमंडल से अवैध जमाबंदी और गैर मजरूआ जैसी जमीन को सूचीबद्ध किया जा रहा है।
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