झारखंड बिजली वितरण निगम का रेवेन्यू गैप बढ़ता ही जा रहा है. पहले जहां पांच सौ करोड़ की बिजली खरीद पर हर महीने तीन सौ करोड़ तक बिजली बिल वसूली होती थी. वहीं, अब 550 करोड़ की बिजली खरीद पर हर महीने 470 करोड़ बिजली बिल की वसूली हो रही है. ऐसे में निगम को हर महीने 80 करोड़ का नुकसान हो रहा है.
बिजली वसूली में तेजी लाने का आदेश
साल 2020 तक राज्य में बिजली की कुल खपत लगभग 1700 मेगावाट तक रही. जो अब 2200 मेगावाट तक पहुंच गयी है. ऐसे में बिजली की मांग बढ़ने से भी निगम को नुकसान हो रहा है. जानकारी हो कि विभागीय सचिव ने समय समय पर बिजली वसूली में तेजी लाने का आदेश दिया है. इसके बाद भी क्षेत्रीय कार्यालय स्तर पर इसे पूरा नहीं किया गया है.
रेवेन्यू गैप को कम करने करे लिये नियामक आयोग को प्रस्ताव
8000 करोड़ का प्रस्ताव: जेबीवीएनएल ने पिछले कुछ सालों के रेवेन्यू गैप को कम करने करे लिये नियामक आयोग को प्रस्ताव भेजा है. जिसमें 8000 करोड़ रूपये की आवश्यकता बतायी गयी है. निगम ये राशि एनुअल रिक्वायरमेंट के लिये बताया है. जिससे पूर्व के बकाया को कम किया जा सकता है. हालांकि नियामक आयोग में फिलहाल प्रस्ताव पर कार्य जारी है. जल्द ही आयोग नयी टैरिफ तय करेगा. जिसके बाद निगम को वार्षिक आवश्यकता की अनुमति मिल सकती है.
बिजली खरीद पर अधिक लागत: राज्य में टीटीपीएस और सिकिदरी हाइडल पावर प्लांट एक मात्र उर्जा उत्पादन का स्रोत है. जहां टीटीपीएस से 300 मेगावाट तक बिजली उत्पादन होता है. वहीं सिकिदरी से सौ मेगावाट तक उत्पादन संभव है. ऐसे में निगम अन्य स्रोतों से बिजली लेकर राज्य में आपूर्ति करती है. ऐसे में राजस्व वसूली में कमी होने से निगम घाटा में चल रही है. जबकि इससे समय समय में बिजली कंपनियों की ओर से बिजली काटने समेत अन्य समस्याएं होते रहती है.
किस साल कितने की बिजली खरीदी गयी: 2016-17 5223.00 करोड़, 2017-18 5733.36 करोड़, 2018-19 5740.18 करोड़, 2019-20 6172.39 करोड़, 2020-21 6300 करोड़, 2021-22 6600 करोड़ की बिजली खरीदी गयी.
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