तेंदुए की मौत पर टाटा जू प्रबंधन के खिलाफ वन विभाग ने एक्शन ले ही लिया। डीएफओ ममता प्रियदर्शी के निर्देश पर रेंज आफिसर ने टाटा जू प्रबंधन के खिलाफ शनिवार को कड़ा एक्शन लेते हुए सीजेएम कोर्ट में मामला दर्ज करा दिया। जानकारी हो कि टाटा जू प्रबंधन की लापरवाही के कारण 21 अगस्त को तेंदुए की मौत हो गई थी।
इस मामले को गंभीरता से लेते हुए डीएफओ ममता प्रियदर्शी ने छह सदस्यीय जांच टीम का गठन किया था। जांच टीम ने अपना रिपोर्ट डीएफओ को सौंप दिया। रिपोर्ट में जांच टीम ने टाटा जू प्रबंधन के खिलाफ लापरवाही बरतने की बात कही। टाटा जू प्रबंधन के खिलाफ जांच टीम की रिपोर्ट के आधार पर केस दर्ज किया गया। दो दिनों पूर्व डीएफओ ने जांच रिपोर्ट को सार्वजनिक करते हुए बताया था I
तेंदुआ लंगड़ा था, जबकि रात को मौके पर कोई सुरक्षा गार्ड नहीं था। तेंदुआ का बाड़ा नीचला इलाका में है। इसके अलावा जू में कई खामियां पाई गई थी। जानकारी हो कि 21 अगस्त की रात को लगातार हो रही बारिश से जू परिसर में पानी भर गया था।
इसी दौरान पानी से बचने के लिए वह बाड़े में गया, लंगड़ा होने के कारण वह पेड़ पर नहीं चढ़ पाया। वह खुद को नहीं बचा पाया और पानी में डूबने से उसकी मौत हो गई। इस संबंध में पूछने पर क्षेत्रीय मुख्य वन संरक्षक रवि रंजन ने बताया कि जू प्रबंधन के खिलाफ वाइल्ड लाइफ प्रोटक्शन एक्ट 1972 के तहत सीजेएम कोर्ट में मामला दर्ज कराया गया है।
डीएफओ- ‘लापरवाही का नतीजा है तेंदुए की मौत’
टाटा जू में तेंदुए की मौत जू प्रबंधन की लापरवाही से हुई थी। यह कहना था जमशेदपुर की डीएफओ ममता प्रियदर्शी का। उन्होंने बताया कि तेंदुए की मौत के बाद उन्होंने छह सदस्यीय जांच टीम बनाकर रिपोर्ट मांगी थी। टीम ने गुरुवार को अपना रिपोर्ट दिया। रिपोर्ट में साफ है कि तेंदुए की मौत जू प्रबंधन की लापरवाही से हुई है। उन्होंने कहा कि जू प्रबंधन सुधर जाएं अन्यथा कार्रवाई के लिए तैयार रहें।
उन्होंने कहा कि अपना मंतव्य के साथ वह सेंट्रल जू अथारिटी को कार्रवाई के लिए पत्र लिखेंगे। उन्होंने कहा कि शिड्यूल वन के जानवरों में जू प्रबंधन की 2018 के बाद यह दूसरी लापरवाही सामने आई है। उन्होंने कहा कि उस समय भी जू प्रबंधन की खामियां को दूर करने को कहा गया था, लेकिन जू प्रबंधन ने खामियां को दूर नहीं किया और दूसरी बार तेंदुआ की मौत हो गई।
जांच रिपोर्ट में खामियां
टाटा स्टील जूलाजिकल पार्क में बीते 21 अगस्त को मिथुन नामक तेंदुआ की मौत के मामले में जांच टीम ने अपनी जांच रिपोर्ट डीएफओ को सौंप दिया। रिपोर्ट में टाटा स्टील जू प्रबंधन की लापरवाही से मौत होने की बात सामने आई है। डीएफओ ममता प्रियदर्शी ने बताया कि टाटा जू में आपदा प्रबंधन को लेकर कोई उपाय नहीं किया गया है, फ्लड एक्शन प्लान में भी खामियां पाई गई, जहां तेंदुआ की मौत हुई वहां फर्स्ट फ्लोर बनाया जाना था, पर वह नहीं बनाया गया है। ऊपर की ओर लकड़ी का फ्लोर बनाया जाना था, वह भी नहीं पाया गया।
डीएफओ के अनुसार जू के एक कर्मचारी ने पूछताछ में बताया कि जिस तेंदुआ की मौत हुई है वह लंगड़ा था, जिसके कारण वह बाढ़ का पानी भरने से उंचाई पर नहीं जा सका। उन्होंने कहा कि इससे जू प्रबंधन की लापरवाही साफ झलकती है।डीएफओ ने बताया कि प्रबंधन ने आनन-फानन में तेंदुआ का पोस्टमार्टम कर दिया जबकि पोस्टमार्टम करने के लिए जिला पशुपालन पदाधिकारी को सूचना देकर अनुमति लेना था।
नीचे की ओर रहने वाले जानवरों को उपरी जगह ले जाने की जरूरत
जांच टीम ने टाटा जू में सुधार के लिए कुछ अपना मंतव्य दिया है। जिसमें कहा गया है कि नीचे की ओर रहने वाले जानवरों को उपरी जगह ले जाने की जरूरत है। जू के अंदर अस्पताल में एक पैथोलॉजी लैब, ओपीडी, ओटी, सर्जिकल टेबल को अपग्रेड करने के साथ ही इमरजेंसी वेटनरी मेडिसिन, जानवरों के बाड़े में सीसीटीवी कैमरा लगाने की जरूरत है। जो जांच में नहीं पाया गया।
पूर्व में भी घटना घट चुकी है, उस समय जू को घोड़ाबांधा थीम पार्क के पास शिफ्ट करने बात उठी। लेकिन जू प्रबंधन ने जुबली पार्क के पास ही एक्शटेंशन की करने की बात कही। डीएफओ ने बताया कि एक्शटेंशन रिपोर्ट में भी कई खामियां हैं। इस संबंध में पूछने पर पर टाटा जू के निदेशक विपुल चक्रवर्ती ने कहा कि मुझे रिपोर्ट नहीं मिला है। रिपोर्ट मिलेगा तो उसका जवाब देंगे।
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