झारखंड सरकार और रेल प्रबंधन द्वारा जुगसलाई फाटक पर रेलवे ओवरब्रिज का निर्माण किया जा रहा है। संवेदक को 31 दिसंबर तक पुल को हैंडओवर करना है लेकिन इसके निर्माण में सबसे बड़ी चूक ये रही कि लगभग 800 मीटर लंबे इस पुल में स्ट्रीट लाइट की कहीं पर कोई व्यवस्था नहीं है। रेलवे बोर्ड के आदेश के तहत देश भर में जितने भी लेवल क्रासिंग हैं उसे बंद किया जा रहा है। ऐसे में जुगसलाई फाटक भी बंद हो जाएगा। रेल प्रबंधन और झारखंड सरकार संयुक्त रूप से इसके स्थान रेलवे ओवरब्रिज का निर्माण कर रही है जिसका 16 नवंबर 2018 को रेलवे ओवरब्रिज का शिलान्यास किया।
पुल का डिजाइन बदलता गया
18 करोड़ रुपये की लागत से इस ओवरब्रिज को 18 माह में ही पूरा होना था लेकिन बार-बार पुल का डिजाइन बदलता गया। इसके कारण पुल का निर्माण अब भी लंबित है। अब यह पुल 18 के बजाए लगभग 36 करोड़ रुपये में निर्मित हो रहा है। पुल को हैंडओवर करने के लिए उल्टी गिनती भी शुरू हो गई है लेकिन अब तक यह तय नहीं हो पाया है कि निर्माणाधीन पुल पर स्ट्रीट लाइट कौन लगाएगा। क्योंकि निर्माणाधीन पुल आधी रेलवे की तो आधी झारखंड सरकार की जमीन पर बनी है।
स्ट्रीट लाइट लगा तो उसका मासिक बिजली का बिल कौन देगा? इसे लेकर अब तक रेल प्रबंधन या झारखंड सरकार के संबधित विभाग से भी कोई सुगबुगाहट नहीं हो रही है। ऐसे में यह तय है कि रेलवे ओवरब्रिज बनने के बाद भी जुगसलाई निवासियों की परेशानी कम होने वाली नहीं है। लेकिन बड़ा सवाल ये है कि जब इस पुल का डिजाइन पास हो रहा था तो रेलवे या झारखंड सरकार के पथ निर्माण विभाग ने इस पर विचार क्यों नहीं किया।
फुट ओवरब्रिज का अता-पता नहीं
यह तो तय है कि जुगसलाई रेलवे ओवरब्रिज हैंडओवर होते हुए रेल प्रबंधन यहां संचालित लेवल क्रासिंग को तत्काल बंद कर देगी। लेकिन पैदल चलने वाले राहगीर रेलवे क्रासिंग को पार करने वाले फुट ओवरब्रिज का कहीं अता-पता नहीं है। ऐसे में पैदल चलने वाले स्थानीय निवासियों को रेलवे ओवरब्रिज पर लगभग 800 मीटर चलकर इस पार से उस पर जाना होगा। हालांकि सांसद विद्युत वरण महतो की पहल पर रेल प्रबंधन ने फुट ओवरब्रिज तैयार करने का आश्वासन जरूर दिया है लेकिन इसके लिए अब तक कागजी कार्रवाई भी शुरू नहीं हुई है।
रेलवे ओवरब्रिज की बड़ी अड़चन
- लगभग 15 फीट चौड़े पुल पर कोई डिवाइडर नहीं बना है। इसी पुल से स्थानीय राहगीरों को आना-जाना होगा। इससे यात्रियों की परेशानी बढ़ेगी।
- बिष्टुपुर छोर पर एप्रोच रोड के दायरे में आ रहा है जुस्को का एक जंक्शन बाक्स व स्ट्रीट पोल, जिसे अब तक स्थानांतरित नहीं किया गया है। इसके कारण संवेदक ने एप्रोच रोड का काम 50 मीटर दूर ही रोक दिया है।
- बिष्टुपुर छोर में एक टेम्पो स्टैंड भी है जिसे शिफ्ट करना है।
- रेलवे ओवरब्रिज के अगल-बगल अब भी खटाल व झुग्गी-झोपड़ियां हैं जो परेशानी का कारण बनेगी।
- जुगसलाई छोर की सड़कों को वन-वे बनाने के लिए कोई पहल शुरू नहीं हुई।
रेलवे ओवरब्रिज हैंडओवर होने से पहले रेलवे या झारखंड सरकार पहले स्ट्रीट लाइट लगाए। इसके लिए संबधित एजेंसियों की जल्द से जल्द जिम्मेदारी तय हो। -सत्यनारायण अग्रवाल मुन्ना, पूर्व सहायक सचिव, सिंहभूम चैंबर
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