राज्य में कृषि उपज और विपणन विधेयक के विरोध में दूसरे दिन भी खाद्यान्न दुकानें बंद रहीं। इसके साथ ही, आवक और ढुलाई की गतिविधियां भी बंद रहीं। विधेयक का विरोध कर रहे व्यापारियों ने घोषणा की है कि जबतक यह कानून वापस नहीं होता, तब तक आंदोलन जारी रहेगा।
शहर में प्रमुख खाद्यान्न बाहर से मंगवाए जाते हैं। एक अनुमान के मुताबिक, कोल्हान में रोज खाद्यान्न खपत के अनुसार अनाज के ऑर्डर दिए जाते हैं। रोज चावल 700 टन, गेंहू 500 टन, आलू 300 टन, प्याज 200 से 300 टन, दाल 200 टन की खपत है। इसी अनुपात में व्यापारी रोज अनाज के लिए ऑर्डर देते हैं। ऐसे में प्रतिदिन के ऑर्डर के हिसाब से इन माल अनलोड किया जाता है, जो फिलहाल बंद है। परसूडीह बाजार समिति समेत बड़े खाद्यान्न मार्केट इस दौरान बंद हैं। हर दिन कोल्हान से 20 करोड़ के कारोबार का नुकसान होने का आकलन है। वहीं, व्यापारियों की मानें तो आने वाले एक-दो दिनों में खाद्यान्न संकट उभरने लगेगा। वहीं, खाद्यान्न संकट के साथ ही दाम बढ़ने की संभावना है। बड़े व्यापारियों के पास खाद्यान्न नहीं होने पर, छोटे दुकानदार इसकी कीमतें बढ़ाएंगे।
अधिकतम दो से तीन दिन का स्टॉक
खाद्यान्न व्यापार बंदी के साथ ही खाद्यान्न की आवाक भी बंद है। अधिकतम दो से तीन दिनों का खाद्यान्न स्टॉक में रहता है। वहीं, न्यूनतम एक दिनों का स्टॉक रहता है। हर दिन व्यापारी खाद्यान्न ऑर्डर करते हैं। जो प्रतिदिन की आपूर्ति के अनुसार होती है। ऐसे में खाद्यान्न व्यापार बंद होने से सरकार की जवाबदेही बढ़ेगी। अधिकांश खाद्यान्न के आपूर्ति अन्य राज्यों से होती है। चावल को छोड़कर किसी भी खाद्यान्न में राज्य सरकार की पूर्ण निर्भरता नहीं है। यहां हरियाणा, पंजाब, मध्यप्रदेश, उत्तरप्रदेश, पश्चिम बंगाल से खाद्यान्न मंगाए जाते हैं।
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