साकची के सैरात बाजार में सरकारी जमीन पर बनी 10 वर्गफीट की सरकारी दुकानों को किराए पर उठा कर दुकान मालिक प्रतिमाह 50 हजार रुपए तक का किराया ले रहे थे. दो-तीन दुकान मिला कर नियम विरुद्ध बने शोरूम के लिए प्रतिमाह एक लाख रुपए से लेकर डेढ़ लाख रुपए तक का किराया लिया जा रहा है। लेकिन, ये कारोबारी 10 हजार रुपए सरकारी रेंट देने में आनाकानी कर रहे हैं. साकची में मेडिकल की एक मशहूर कंपनी को मेडिकल का सामान बेचने के लिए 57 हजार रुपए प्रतिमाह के किराए पर दुकान दी गई है.
जेएनएसी कार्यालय के सामने ही पलंग मार्केट के पास कई दुकान को मिला कर बनी बड़ी दुकान का दो लाख रुपए प्रतिमाह किराया वसूल किया जा रहा है. ये दुकान बाजार में वसूली करने वाले एक व्यक्ति की है. बाटा चौक के पास एक महिला शौचालय पर भी कब्जा कर दुकान बना ली गई है. इस दुकान को पूर्व एसडीओ आलोक कुमार ने अतिक्रमण हटाओ अभियान में तोड़ दिया था. बाद में इस पर फिर कब्जा कर लिया गया. कुछ साल पहले बने एक मार्केट कॉम्प्लेक्स में 100 रुपए से 120 रुपए प्रति वर्ग फीट किराया वसूल किया जा रहा है. बसंत टॉकीज के पास कपड़े के एक शोरूम का किराया 65 हजार रुपए प्रतिमाह वसूला जा रहा है.
सभी सैरात दुकानों का रेंट अब तक टाटा स्टील वसूलती
साकची समेत शहर की सभी सैरात दुकानों का रेंट अब तक टाटा स्टील वसूलती थी. दुकानदारों से प्रतिमाह 24 रुपए से 50 रुपए तक का रेंट वसूला जाता था. अब सैरात को सरकार ने अपने कब्जे में ले लिया है. जमशेदपुर अधिसूचित क्षेत्र समिति (जेएनएसी) अब इसका किराया वसूल करेगी. एसडीओ ने दुकानों का किराया तय कर दिया है. यह किराया अधिकारियों की एक टीम ने सर्वे के बाद निर्धारित किया है. सर्वे के दौरान अधिकारियों को यह पता चला कि यहां के दुकानदारों ने दुकानें किराए पर भी उठा रखी हैं. इनका किराया सुनते ही अधिकारियों के होश उड़ गए. 10 वर्गफीट की छोटी दुकान का किराया 50 हजार रुपए तक है. इसी के हिसाब से सरकारी रेंट तय किया गया.
59 सब लीज के मामले की जांच करते समय तत्कालीन डीसी अमिताभ कौशल ने राजस्व विभाग को एक पत्र लिख कर सैरात बाजारों में रेंट की वसूली के लिए टाटा स्टील पर सवाल उठाए थे. इसी के बाद सरकार ने एक आदेश जारी कर शहर की सभी सैरात बाजारों को जेएनएसी के कब्जे में दे दिया है.
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