बच्चों में पढ़ाई से ज्यादा आजकल प्रेम संबंध अवसाद का कारण बन रहा है। यह बात मनोचिकित्सक कह रहे हैं। उनका कहना है कि हाल के दिनों में उनके पास जो भी अभिभावक आ रहे हैं, उनमें 50 प्रतिशत ऐसे हैं, जो अपने बच्चे के अवसाद से परेशान हैं और उसका कारण उनका कम उम्र में प्रेम जाल में फंस जाना है।
मनोचिकित्सकों का कहना है कि इसमें बच्चे जब पूरी तरह से डिप्रेशन का शिकार हो जाते हैं, तब अभिभावकों को उनके संबंधों के बारे में पता चलता है। वे चिकित्सकों के पास भी तब ही आते हैं, जब मामला पूरी तरह से बिगड़ जाता है। हाल में ही दो नाबालिग लड़कियों द्वारा प्रेम संबंध के कारण अपने पिता या माता-पिता दोनों की करायी गयी हत्या के बाद अब यह सवाल उठने लगा है कि बच्चे ऐसी परिस्थति में आखिर क्यों जा रहे हैं।
सोशल मीडिया का बुरा प्रभाव
एक्सएलआरआई की मनोचिकित्सक पूजा सिंघल ने कहा कि सोशल मीडिया की दुनिया ने बच्चों में सहनशीलता खत्म कर दी है। इससे सर्वाधिक प्रभावित बच्चे हो रहे हैं। वे किशोर हों या युवा सबकी मनोवृत्ति एक जैसी होती जा रही है। प्रेम संबंध की जानकारी मिलने पर बच्चों को कैसे समझाया जाए यह पेरेंटिंग पर सबसे ज्यादा निर्भर करती है। हम बच्चों को समय उनकी जरूरत के अनुसार देते हैं, जबकि उन्हें भावनात्मक रूप से समय देने की जरूरत है। वह जो मांगता है, उस पर सीधे इनकार करने के बजाए उसके पीछे के कारणों को समझाना होगा। जब घर के अंदर पूरा प्यार नहीं मिलता तो वह बाहरी प्यार को हासिल करने के लिए अंदर के कम मिलने वाले प्यार को तिलांजलि दे देते हैं।
सलाह: बच्चों को दें पूरा समय, कभी सीधे तौर पर ना न कहें
● सबसे पहले पेरेंटिंग ठीक करनी होगी
● ‘ना’ बोलिए लेकिन समझाने के बाद
● हमें बच्चों के लिए समय निकालना होगा
● हम नशे में घर जाने से परहेज करें
● घर में भरा पूरा प्यार रहेगा तो बाहर जरूरत नहीं पड़ेगी
● शुरुआत में ही बच्चों की मानसिकता को समझ लेना होगा
● बच्चे के संबंधों के बारे में यदि मां जानती है तो वह पिता को अवश्य बताए
● हम किसी बात का कारण जानने के बजाय उसके असर को कैसे निष्क्रिय करें, उसपर जोर देते हैं
● स्कूलों में भी नैतिक शिक्षा से संबंधित विषयों को लागू किया जाना चाहिए
‘बच्चों को दें नैतिक शिक्षा’
जमशेदपुर व्यवहार न्यायालय की अधिवक्ता संगीता झा ने कहा कि हमें बच्चों को समझना होगा। स्कूल में फिजिक्स, केमेस्ट्री की पढ़ाई तो ठीक है, लेकिन इसके साथ ही में बच्चों की समझदारी कैसे विकसित हो, इस पर ध्यान देना होगा। उन्हें अच्छे और बुरे का ज्ञान बताना होगा। हम उन्हें नैतिक शिक्षा अधिक दें।
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