
पूर्वी सिंहभूम जिला 33 साल का हो गया। 16 जनवरी 1990 को सिंहभूम जिला को विभाजित कर इसका गठन किया गया था। जिले का क्षेत्रफल 3533 वर्ग किलोमीटर है। आरंभ में इसमें 9 प्रखंड और 150 पंचायतें थीं। परंतु कालांतर में प्रशासनिक दृष्टिकोण से दो प्रखंड बोड़ाम और गुड़ाबांदा का गठन किया गया। जबकि पंचायतों का भी पुनर्गठन किया गया, जिससे उनकी संख्या 231 हो गई।
जिला गठन के समय पूर्वी सिंहभूम की आबादी लगभग 15 लाख 28 हजार थी, जो अब बढ़कर 27 लाख 58 हजार हो गई है। 5 जनवरी को प्रकाशित मतदाता सूची में अनुमानित आबादी का आंकड़ा दर्ज है। इस प्रकार 33 सालों में आबादी में 80.49% की वृद्धि हुई है।
मतदाताओं की संख्या 18 लाख के करीब
जिले में मतदाताओं की संख्या 17 लाख 99 हजार 786 पहुंच गई है। इसमें पुरुषों की संख्या 9 लाख 7 हजार 988 जबकि महिलाओं की तादाद 8 लाख 91 हजार 682 और किन्नर 116 हैं। 2011 की जनगणना के अनुसार, जनसंख्या घनत्व प्रति वर्ग किलोमीटर 648, लिंगानुपात 949, साक्षरता दर 76.11 और विकास दर 15.53 रहा था। 2021 में अगर जनगणना हुई होती तो निश्चित रूप से इसमें बदलाव दिखता। 33 सालों में बहुत कुछ बदला है। आधारभूत संरचना के क्षेत्र में काफी तरक्की हुई है।
27 दिसंबर 2018 को पूरा जिला विद्युतीकृत हो गया। ग्रामीण इलाकों में सड़कों का जला बिछा और पेयजल आपूर्ति की अनेक योजनाएं शुरू हुईं। अब ग्रामीण क्षेत्र में भी पाइपलाइन से जलापूर्ति हो रही है। 22 वर्ष पूर्व झारखंड के राज्य बनने के बाद पूर्वी सिंहभूम राजनीतिक दृष्टिकोण से काफी प्रभावशाली बना है। इसी जिले के दो व्यक्ति अर्जुन मुंडा और रघुवर दास मुख्यमंत्री बने। यही नहीं, झारखंड की राजनीति में पूर्वी सिंहभूम का दबदबा बीते 22 वर्षों से लगातार बना हुआ है।

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