श्रीलाल शुक्ल-इफको पुरस्कार से सम्मानित प्रसिद्ध उपन्यासकार रणेंद्र 14 दिसंबर को जमशेदपुर में होंगे
एल. बी. एस. एम. कॉलेज में ‘आदिवासी इतिहास और साहित्य’ विषय पर देंगे विशेष व्याख्यान
रणेंद्र आदिवासी जनजीवन के यथार्थ, आकांक्षा, स्वप्न और संघर्ष को चित्रित करने वाले लेखक के रूप में जाने जाते हैं
13 दिसंबर : ‘ग्लोबल गांव के देवता’ उपन्यास से मशहूर हुए लेखक रणेंद्र जमशेदपुर के एल. बी. एस. एम. कॉलेज में 14 दिसंबर को ‘आदिवासी इतिहास और साहित्य’ विषय पर विशेष व्याख्यान देंगे। रणेंद्र भारतीय प्रशासनिक सेवा के अधिकारी रहे हैं। खेल विभाग और रामदयाल मुंडा जनजातीय कल्याण शोध संस्थान के निदेशक रह चुके हैं। उन्होंने जेपीएससी के सचिव की जिम्मेवारी भी निभायी है।
रणेंद्र ने ‘ग्लोबल गांव के देवता’ के अतिरिक्त ‘गायब होता देश’ और ‘गूंगी रुलाई का कोरस’ नामक उपन्यास लिखे हैं। उनके दो कहानी संग्रह – ‘रात बाकी’ और ‘छप्पन छुरी बहत्तर पेंच’ तथा एक कविता संग्रह ‘थोड़ा सा स्त्री होना चाहता हूँ’ भी प्रकाशित हो चुके हैं।
हिन्दी साहित्य में रणेंद्र आदिवासी जनजीवन के यथार्थ, आकांक्षा, स्वप्न और संघर्ष को चित्रित करने वाले लेखक के रूप में जाने जाते हैं। उन्हें आदिवासी मामलों के गंभीर अध्येता और विशेषज्ञ के रूप में जाना जाता है। उनकी रचनाओं का आदिवासी विमर्श में अनिवार्य रूप से उल्लेख होता है। सेवानिवृत्ति के बाद देश के विभिन्न विश्वविद्यालयों में व्याख्यान के लिए उन्हें आमंत्रित किया जा रहा है। इसी क्रम में एल. बी. एस. एम. कॉलेज में वे विशेष व्याख्यान देने आ रहे हैं।
शशांक शेखर विगत 30 वर्षों से पत्रकारिता, आकाशवाणी व सामाजिक कार्यों से जुड़े हुए हैं साथ ही लघु/फीचर फिल्मों व वृत्त चित्रों के लिए कथा-लेखन का कार्य भी विगत डेढ़ दशकों से कर रहे हैं. मशाल न्यूज़ में पिछले लगभग ढाई वर्षों से कार्यरत हैं.
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