
न्यायिक प्रक्रियाएं प्रायः अंग्रेजी में क्यों होती हैं ?
आदित्यपुर स्थित श्रीनाथ विश्वविद्यालय में रविवार को तीन दिवसीय आठवां श्रीनाथ अंतर्राष्ट्रीय हिन्दी महोत्सव, 2024 का समापन हो गया. इसमें चिंतन मनन सत्र में वक्ता के रूप में झारखण्ड उच्च न्यायलय के न्यायमूर्ति आनंद सेन, निर्भया कांड की अधिवक्ता (उच्चत्तम न्यायलय) सीमा समृधि कुशवाहा एवं झारखण्ड बार काउन्सिल के उपाध्यक्ष राजेश शुक्ल उपस्थित रहे. चिन्तन-मनन सत्र के समन्वयक श्रीनाथ विश्वविद्यालय के वरिष्ठ सलाहकार कौशिक मिश्रा एवं जियाडा के उपनिदेशक दिनेश रंजन थे.
हिंदी के प्रति जो एक लापरवाह रवैया है, इसे कैसे दूर किया जा सकता है ?
पहला प्रश्न कौशिक मिश्रा ने न्यायमूर्ति आनन्द सेन से पूछा कि न्यायिक प्रक्रियाएं प्रायः अंग्रेजी में होती है, इसमें हिंदी की क्या भूमिका हो सकती है ? इसका जबाब देते हुए न्यायमूर्ति ने कहा, “अंग्रेजी माध्यम से उच्चत्तम न्यायलय में अधिकांश काम होता है. जिस भाषा को हम नहीं जान रहे हैं उस भाषा में हम अपने कानून को कैसे समझें.” कौशिक मिश्रा ने न्यायमूर्ति से प्रश्न पूछा कि हिंदी के प्रति जो एक लापरवाह रवैया है, इसे कैसे दूर किया जा सकता है और इसे कैसे संप्रेषण की भाषा बनाई जा सकती है ? इस पर माननीय न्यायमूर्ति ने जवाब देते हुए कहा कि यदि कोई कहता है कि हिंदी हमें नहीं आती है तो यह गलत बात है.आप उतना ही हिंदी बोलिए, जितनी आपको आती है. लोग क्या कहेंगे, यह मत सोचिए.”
यहां भाषा कभी ज्ञान अर्जन के लिए नकारात्मक नहीं हो सकता
कौशिक मिश्रा के सवाल पर राजेश शुक्ला ने जवाब देते हुए कहा, “हम लोग जिस जगह में रहते हैं यहां कई भाषाएं हैं, लेकिन यहां बांग्ला, उड़िया भाषा के लोग भी हैं जो बहुत अच्छी हिंदी भी जानते हैं और समझते हैं.” दिनेश रंजन ने न्यायमूर्ति से कहा कि कोर्ट में वादी वकील के भरोसे रहता है.जब मुकदमा चलने लगता है तो उसे पता ही नहीं चलता कि क्या हो रहा है. क्या हिंदी भाषा के लिए आदेश पारित हुआ है ? इस पर न्यायमूर्ति ने कहा कि यहां भाषा कभी ज्ञान अर्जन के लिए नकारात्मक नहीं हो सकता . झारखण्ड उच्च न्यायालय में 100% हिंदी में जजमेंट होता है. झारखंड उच्च न्यायालय में हम लोग जजमेंट हिंदी में अनुवाद कर रहे हैं. कोई बच्चा जब विद्यालय में हिंदी माध्यम से पढ़ता है और कॉलेज में जाकर कानून की पढ़ाई करना चाहता है और उसे वहां पुस्तकें अंग्रेजी में मिलती है तो यह उसके लिए परेशानी का कारण बन जाता है.
हमलोग हिंदी के लिए प्रयास तो कर रहे हैं, लेकिन न्यायिक प्रक्रिया में तथा अन्य चीजों में भी हिंदी को पूर्ण रूप से लाने में अभी दो पीढ़ियों का समय लगेगा.विद्यार्थियों को संबोधित करते हुए न्यायमूर्ति महोदय ने कहा कि मत सोचो कि हमें अंग्रेजी नहीं आती है तो हमें कुछ नहीं आता.
चर्चित निर्भया केस की वकील सीमा कुशवाहा खास तौर पर भाग लेने पहुंची थीं
कार्यक्रम में चर्चित निर्भया केस की वकील सीमा कुशवाहा खास तौर पर भाग लेने पहुंची थीं.दिनेश रंजन ने उनसे पूछा कि निर्भया केस आपने कैसे लड़ा ? इस पर सीमा कुशवाहा ने कहा, “मेरी लड़ाई 2012 से 2020 तक चली.मेरी लड़ाई पहले मेरे घर के खिलाफ थी कि मुझे भी लड़कों के साथ पढ़ना है. हम पढ़ते समय रानी लक्ष्मीबाई, फातिमा बीवी और इंदिरा गांधी को पढ़ते हैं और चर्चा करते हैं, लेकिन अपने घर की लड़कियों को पढ़ने से रोकते हैं. लड़का-लड़की के बीच यह जो लिंग भेद है, सबसे पहले हमें इस भेदभाव को दूर करना चाहिए. निर्भया केस की यदि बात की जाए तो उस कांड के बाद हम सब हिल गए थे. मैंने दिसंबर 2012 को ही ठान लिया था कि दोषियों को उनके अंजाम तक जरूर पहुंचाऊंगी. हमारे देश में फांसी तक किसी को पहुंचाना आसान नहीं है.”
निर्भया को न्याय नहीं मिला है..
उन्होंने कहा कि निर्भया को न्याय नहीं मिला है बल्कि उसके दोषियों को सजा मिली है. निर्भया को तो तब तक न्याय नहीं मिलेगा, जब तक लड़कियां सुरक्षित नहीं होंगी. हमारे देश में लड़की मुख्यमंत्री, प्रधानमंत्री, आईएएस अधिकारी तो बन सकती है, लेकिन आम लड़की रात को घर से बाहर नहीं निकल सकती.हमें अपने बेटों को सिखाना होगा कि आप ऐसी स्थिति किसी लड़की के लिए ना खड़ी करें, कि वह घर से बाहर ही ना निकले. इसी सवाल का जवाब देते हुए न्यायमूर्ति ने सीमा कुशवाहा से सवाल पूछा कि उच्चतम न्यायालय में कॉर्पोरेट के केस ज्यादा आते हैं और बड़े-बड़े लॉ फॉर्म के लोग ही उसे लड़ते हैं,
ऐसे में वहां अंग्रेजी भाषा का ही वर्चस्व है इस पर आप क्या कहेंगी? इस पर सीमा कुशवाहा ने कहा, “सर, मैं आपकी बात से बहुत सहमत हूं, मैं क्रिमिनल लॉयर हूं, कॉर्पोरेट मामले मैं नहीं देखती हूँ, लेकिन मैं आपकी बात से सहमत हूं कि बड़े-बड़े लॉ फॉर्म अंग्रेजी भाषा का ही ज्यादा उपयोग करते हैं.”
इस पर न्यायमूर्ति आनंद सेन ने कहा, “आज क्लाइंट भी यह जानकर किसी वकील के पास जाना चाहते हैं कि हमारे वकील साहब को कितनी अंग्रेजी आती है, क्योंकि क्लाइंट की भी यह मानसिकता बन गई है कि अंग्रेजी जानने वाला वकील ही ज्यादा अच्छा होता है.इसके लिए मैं कहना चाहूंगा कि हमें अपनी मानसिकता को बदलनी होगी.”
महोत्सव के तीसरे और अंतिम दिन की प्रतियोगिताएं
वाक् चातुर्य
लोरी लेखन
रेडियो श्रीनाथ
*सूचना सृजन
कहानी से कविता तक
लघु नाटिका (अंतिम चरण)
तीन दिवसीय हिंदी महोत्सव में जमशेदपुर वर्कर्स कॉलेज,जमशेदपुर को-ऑपरेटिव कॉलेज,आईआईटी (आईएसएम) धनबाद ,रंभा कॉलेज ऑफ एजुकेशन, गितिलता, गंगाधर मेहर विश्वविद्यालय, संबलपुर,ओडिशा मधुसूदन महतो टीचर्स ट्रेनिंग कॉलेज, चक्रधरपुर,अल-हफ़ीज़ कॉलेज आरा, बिहार ,करीम सिटी कॉलेज, जमशेदपुर व अन्य कालेजों ने भाग लिया.
मौजूद थे ये गणमान्य
इस कार्यक्रम में डॉ. एस. एस. रजी,डॉ. रमा शंकर, प्रभात कुमार बरदियार (उप विकास आयुक्त सराईकेला खरसावां),श्रीनाथ विश्वविद्यालय के पूर्व कुलपति डॉ. गोविन्द महतो, डॉ. संजय भुईयां, डॉ. मनोज कुमार ,अधिवक्ता,सुदीप्त दास, बीना नंदिनी आदि उपस्थित रहे. इसके अतिरिक्त प्रतियोगिताओं के निर्णायक( पत्रकार अन्नी अमृता,ब्रजेश सिंह, आरजे अभय,आरजे राजीव व अन्य)भी उपस्थित थे.महोत्सव के अंतिम दिन बड़ी संख्या में विभिन्न महाविद्यालय और विश्वविद्यालय से आये विद्यार्थी एवं प्रतिनिधिगण भी मौजूद थे.
विजेता प्रतिभागियों की सूची
हास्य कवि सम्मलेन
प्रथम – श्रीनाथ विश्वविद्यालय
द्वितीय – मधुसूदन महतो टीचर्स ट्रेनिंग कॉलेज तथा साईंनाथ विश्वविद्यालय
तृतीय – रम्भा कॉलेज ऑफ़ एजुकेशन, गीतिलता
प्रश्नोत्तरी
प्रथम – श्रीनाथ विश्वविद्यालय
द्वितीय – रम्भा कॉलेज ऑफ़ एजुकेशन, गीतिलता
तृतीय – जमशेदपुर महिला विश्वविद्यालय
दीवार सज्जा
प्रथम -श्रीनाथ विश्वविद्यालय
द्वितीय –NIT जमशेदपुर
तृतीय – स्वामी विवेकानंद कॉलेज, कुल्टी कॉलेज
मुद्दे हमारे विचार आपके
प्रथम – जमशेदपुर विमेंस यूनिवर्सिटी, जमशेदपुर
द्वितीय – कूच बिहार पंचानन वर्मा यूनिवर्सिटी तथा श्रीनाथ विश्वविद्यालय
तृतीय – महिला कॉलेज, चाईबासा
साहित्यिक कृति
प्रथम – काज़ी नजरुल विश्वविद्यालय
द्वितीय – डी.बी.एम.एस.कॉलेज ऑफ़ एजुकेशन, जमशेदपुर
तृतीय – श्रीनाथ कॉलेज ऑफ़ एजुकेशन
मुखड़े पर मुखड़ा
प्रथम – एन.आई.टी. जमशेदपुर
द्वितीय – श्रीनाथ विश्वविद्यालय
तृतीय – महिला कॉलेज, चाईबासा
नुक्कड़ नाटक
प्रथम – करीम सिटी कॉलेज, जमशेदपुर
द्वितीय – जमशेदपुर विमेंस यूनिवर्सिटी, जमशेदपुर
तृतीय – काजी नज़रुल यूनिवर्सिटी
लोक गीत
प्रथम – डीबीएस कालेज
द्वितीय – ग्रैजुएट स्कूल कॉलेज फॉर वुमन
तृतीय – महिला कॉलेज, चाईबासा
हिंदी टंकण
प्रथम – प्रथम महिला कॉलेज, चाईबासा
द्वितीय – ग्रैजुएट स्कूल कॉलेज फॉर वूमेन, जमशेदपुर
तृतीय – जमशेदपुर विमेंस यूनिवर्सिटी, जमशेदपुर
ब्लॉग लेखन
प्रथम – महिला कॉलेज, चाईबासा
द्वितीय – आईआईटी, धनबाद
तृतीय – श्रीनाथ कॉलेज ऑफ़ एजुकेशन तथा जमशेदपुर विमेंस यूनिवर्सिटी
कुछ तुम कहो कुछ हम कहें
प्रथम – महिला कॉलेज, चाईबासा
द्वितीय – रंभा कॉलेज ऑफ़ एजुकेशन, गीतीलता
संस्कृति के आठ रंग
प्रथम – श्रीनाथ विश्वविद्यालय, जमशेदपुर
द्वितीय – मॉडल कॉलेज, खरसावां तथा मधुसूदन महतो टीचर ट्रेनिंग कॉलेज, चक्रधरपुर
तृतीय – साईंनाथ यूनिवर्सिटी, रांची तथा कॉपरेटिव कॉलेज, जमशेदपुर
स्टार्ट-अप श्रीनाथ
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प्रथम – श्रीनाथ विश्वविद्यालय, जमशेदपुर
द्वितीय – राजकीय पॉलिटेक्निक कॉलेज, आदित्यपुर
तृतीय – मधुसूदन महतो टीचर्स ट्रेनिंग कॉलेज, चक्रधरपुर
रील्स संचार
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प्रथम – राजकीय पॉलिटेक्निक, भागा, धनबाद
द्वितीय – मधुसूदन महतो टीचर ट्रेनिंग कॉलेज
तृतीय – पांडवेश्वर कॉलेज
वाक् चातुर्य
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प्रथम – रम्भा कॉलेज
द्वितीय – कोआपरेटिव कॉलेज
तृतीय – जमशेदपुर विमेंस विश्वविद्यालय
सूचना सृजन
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प्रथम – आशु किस्कू मेमोरियल एंड रवि किस्कू टीचर्स ट्रेनिंग कॉलेज,
द्वितीय – जामिनीकान्त बीएड कॉलेज
तृतीय – श्रीनाथ विश्वविद्यालय
कहानी से कविता तक
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प्रथम – स्वामी विवेकानंद कॉलेज,
द्वितीय – श्रीनाथ विश्वविद्यालय तथा के एम पी एम वोकेशनल कॉलेज
तृतीय – नेताजी सुभाष चंद्र बोस कॉलेज, सम्बलपुर
लघु नाटिका
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प्रथम – महिला कॉलेज चाईबासा
द्वितीय – श्रीनाथ विश्वविद्यालय
तृतीय – मधुसूदन कॉलेज

शशांक शेखर विगत 30 वर्षों से पत्रकारिता, आकाशवाणी व सामाजिक कार्यों से जुड़े हुए हैं साथ ही लघु/फीचर फिल्मों व वृत्त चित्रों के लिए कथा-लेखन का कार्य भी विगत डेढ़ दशकों से कर रहे हैं. मशाल न्यूज़ में पिछले लगभग ढाई वर्षों से कार्यरत हैं.
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