अंतर्राष्ट्रीय मातृभाषा दिवस के सुअवसर पर “कुड़मालि भाषा सम्मेलन” आयोजित
कार्यक्रम में झारखंड के अलावे ओड़िशा और प० बंगाल के प्रतिनिधि शामिल हुए
आदिबासि कुड़मि समाज द्वारा 21 फरवरी बुधवार को केंद्रीय अध्यक्ष प्रसेनजीत महतो की अध्यक्षता में साकची आम बागान स्थित भारत स्काउट्स एंड गाइड्स सेंटर हॉल में अंतर्राष्ट्रीय मातृभाषा दिवस के सुअवसर पर “कुड़मालि भाषा सम्मेलन” का आयोजन किया गया। इस कार्यक्रम में झारखंड के अलावे ओड़िशा और प० बंगाल के प्रतिनिधि शामिल हुए। कार्यक्रम में मुख्य रूप से कुड़मालि भाषा के उत्थान और विकास पर परिचर्चा हुई। मौके पर दो कुड़मालि पुस्तक करनिफर (नाटक) और कुड़मालिञ रस, छाँद आर सिंगार का विमोचन किया गया।
सरकार कुड़मालि भाषा की विभिन्न विसंगतियों को दूर करे व विभिन्न समस्याओं के निदान के लिए त्वरित यथोचित कदम उठाये-प्रसेनजीत महतो
केंद्रीय अध्यक्ष प्रसेनजीत महतो ने कहा, “हम कुड़मि जनजाति हैं और हमारी स्वायत्त कबिलावाची जनजातीय मातृभाषा कुड़मालि है। सरकार कुड़मालि भाषा के विभिन्न विसंगतियों को दूर करने के साथ साथ विभिन्न समस्याओं के निदान के लिए त्वरित यथोचित कदम उठाये, जिसके लिए हमने विभिन्न स्तर पर लगातार अवगत कराया है।”
कुड़मालि भाषा के संरक्षण और संवर्धन की नितांत आवश्यकता-डॉ० बिद्याभूषण महतो
मुख्य अतिथि के रूप में उपस्थित केंद्रीय मुख्य सलाहकार डॉ० बिद्याभूषण महतो ने कहा कि कुड़मालि भाषा एक अति समृद्धशाली भाषा है, जिसके संरक्षण और संवर्धन की नितांत आवश्यकता है। आम जनमानस भी इसपर स्वयं अपना विशेष ध्यान केंद्रित करे। केंद्रीय कोषाध्यक्ष गणेश्वर बंसरिआर ने सभी से कुड़मालि भाषा के पठन-पाठन पर विशेष बल दिया। ओड़िशा के प्रताप मोहन्ता ने कुड़मालि भाषा के साथ विशिष्ट सांस्कृतिक जुड़ाव का बखान किया। साहित्यकार शंकरलाल बंसरिआर ने कुड़मालि साहित्य और गीत संगीत के महत्व पर प्रकाश डाला। केंद्रीय सचिव बैजनाथ महतो ने जनगणना में सभी से जनजाति – कुड़मि और मातृभाषा – कुड़मालि दर्ज कराने का अपील किया। गौरी मोहन्ता, माधवी मोहन्ता, बिनोद बंसरिआर और मनगोबिंद महतो आदि लोक कलाकारों ने कुड़मालि झुमअइर पेश किया।
इस कार्यक्रम में मुख्य रूप से केंद्रीय संगठन सचिव चुरामन महतो, केंद्रीय उपाध्यक्ष निरंजन महतो, केंद्रीय संयुक्त सचिव रामबिलास महतो, झारखंड प्रदेश अध्यक्ष पन्नालाल जुरुआर, प्रदेश सचिव निबारन महतो, ओड़िशा प्रदेश कोषाध्यक्ष सुरेंद्रनाथ मोहन्ता, प्रभात रंजन मोहन्ता, बाबुराम मोहन्ता, निर्मला मोहन्ता, पंचानन महतो, दीपनारायण महतो, भुवनेश्वर महतो, सुधांशु महतो, प्रकाश महतो, मनोज महतो, विभीषण महतो, गणेश महतो, दिनेश महतो, धिरेंद्रनाथ महतो, सुकदेव महतो, नंदिनी महतो, मनीला महतो, नमिता महतो, रीना महतो, दीपिका महतो, सुप्रिया महतो आदि सैकड़ों की संख्या में समाज के लोग उपस्थित थे।
मुख्य मांगें
1) कुड़मालि (KUDMALI) भाषा को भारतीय संविधान के आठवीं अनुसूची में सूचीबद्ध करें।
2) भारत की जनगणना के भाषा सूची में स्वतंत्र रूप से कुड़मालि (KUDMALI) भाषा कोड लागू करें।
3) यूजीसी (UGC) में प्रयुक्त त्रुटिपूर्ण कुरमाली (KURMALI) शब्द को पूर्णतः विलोपित कर कुड़मालि (KUDMALI) शब्द संशोधित करें।
4) कुड़मालि (KUDMALI) भाषा को जनजातीय भाषा की मान्यता प्रदान करें।
5) नई शिक्षा नीति के तहत सभी स्तर पर कुड़मालि (KUDMALI) भाषा की पढ़ाई शुरु करायें एवं समुचित संख्या में शिक्षकों, प्राध्यापकों और पुस्तकों की व्यवस्था सुनिश्चित करायें।
6) कुड़मालि (KUDMALI) एकेडेमिक और कल्चरल बोर्ड का गठन करें।
शशांक शेखर विगत 30 वर्षों से पत्रकारिता, आकाशवाणी व सामाजिक कार्यों से जुड़े हुए हैं साथ ही लघु/फीचर फिल्मों व वृत्त चित्रों के लिए कथा-लेखन का कार्य भी विगत डेढ़ दशकों से कर रहे हैं. मशाल न्यूज़ में पिछले लगभग ढाई वर्षों से कार्यरत हैं.
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