केंद्र सरकार जल्द किसानों को उनकी मांगों पर लिखित आश्वासन दे सकती है. इसके लिए फिर से कुछ किसान नेताओं से संपर्क साधा गया है. इसके साथ ही हरियाणा में किसानों पर हुए मुक़दमों की वापसी पर भी केंद्र पत्र जारी कर सकता है. प्रधानमंत्री द्वारा तीनों कृषि कानून वापसी का ऐलान करने और संसद से उसे वापस लेने के बाद भी किसानों का आंदोलन जारी है और वे न्यूनतम समर्थन मूल्य देने, किसान आंदोलन में शहीद हुए किसानों के परिजनों को मुआवजा और नौकरी देने और किसानों पर दर्ज मुकदमे वापस लेने की मांग कर रहे हैं.
कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने आज, मंगलवार को संसद में किसानों का मुद्दा उठाया. उन्होंने लोकसभा में सरकार से मांग की है कि आंदोलन के दौरान शहीद हुए किसानों को मुआवजा और परिवार के सदस्यों को नौकरी मिलनी चाहिए.
केन्द्र सरकार के समक्ष स्थिति विकट है. किसानों की मांगें माने, तो कुछ बड़े लोग रूठ सकते हैं और न माने तो किसान आन्दोलन जारी रखेंगे. और इससे इतर ख़ास मुद्दा यह है कि चुनाव सर पर हैं.
साल 2022 की शुरुआत में यूपी, उत्तराखंड और पंजाब समेत पांच राज्यों में विधान सभा चुनाव होने वाले हैं. सरकार नहीं चाहती कि किसानों के आंदोलन और गुस्से का खामियाजा इन चुनावों में बीजेपी को भुगतना पड़े. सबसे ज्यादा संकट यूपी को लेकर है, जहां पश्चिमी यूपी में जाट किसानों की बहुलता है.
यदि केन्द्र सरकार किसानों को उनकी मांगों पर लिखित तौर पर आश्वासन देती है, तो क्या किसान अपना यह आन्दोलन समाप्त करेंगे ? यह देखने का विषय होगा.
शशांक शेखर विगत 30 वर्षों से पत्रकारिता, आकाशवाणी व सामाजिक कार्यों से जुड़े हुए हैं साथ ही लघु/फीचर फिल्मों व वृत्त चित्रों के लिए कथा-लेखन का कार्य भी विगत डेढ़ दशकों से कर रहे हैं. मशाल न्यूज़ में पिछले लगभग ढाई वर्षों से कार्यरत हैं.
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