झारखंड से बाहर रोजगार के लिए पलायन करने वाले मजदूरों की अब सुधि लेगी सरकार. झारखंड सरकार इसपर ने बड़ा फैसला लिया है. मुख्यमंत्री हेमंत सोरन ने आज “सेफ एंड रेस्पोंसिबल माइग्रेशन इनिशिएटिव प्रोजेक्ट” का शुभारंभ किया। 18 माह का यह प्रोजेक्ट पांच संस्थाओं के सहयोग से चलाया जाएगा, जिसमें मजदूरों के दूसरे राज्यों में काम के लिए पलायन करने पर वहां उन्हें सुरक्षा प्रदान करने से लेकर सामाजिक सुरक्षा का लाभ दिलाया जाएगा।
दूसरे राज्यों में झारखंड के मजदूरों के आकस्मिक निधन से अपने खर्च पर सरकार मृत शरीर को वापस लाएगी. राज्य सरकार मृत शरीर के अंतिम संस्कार का भी खर्च उठाएगी। मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने इसकी घोषणा करते हुए कहा कि इसके लिए सभी जिलों में कॉर्पस फंड की व्यवस्था की जाएगी। इस प्रयास की शुरुआत संस्था ओमीडियार नेटवर्क इंडिया के सहयोग से राज्य सरकार के श्रम, नियोजन एवं प्रशिक्षण विभाग द्वारा की गई है।
सरकार पलायन का विरोधी नहीं है : मुख्य सचिव सुखदेव सिंह
इसमें अन्य संस्थाएं पॉलिसी एंड डवलपमेंट ग्रुप, फ़िया फाउंडेशन, सेंटर फॉर माइग्रेशन एंड इंक्लूसिव डवलपमेंट तथा इंडियन स्कूल ऑफ बिजनेस-भारती इंस्टीट्यूट ऑफ पब्लिक पॉलिसी की भी भूमिका रहेगी। इस अवसर पर मुख्य सचिव सुखदेव सिंह ने कहा कि सरकार पलायन का विरोधी नहीं है। सरकार बेहतरी के लिए पलायन को प्रोत्साहित करना चाहती है। लेकिन पलायन सुरक्षित होना चाहिए।
आपको बता दे कि दस नवम्बर को झारखंड सरकार ने मनरेगा के मजदूरो के लिए भी बीमा-पेंशन गाइडलाइन्स जारी करने का निर्देश दिया था| सरकार के तरफ से की गई एक अच्छी पहल हैं, आने वालो दिनों में झारखंड सरकार की इस योगना का लाभ मजदूरों को मिलेगा या नहीं यह देखने का विषय होगा| इसके अलवा 18 वर्ष की आयु वाले सभी श्रमिकों को योजना के अंतर्गत रोजगार लेने का लाभ प्राप्त होगा। अगर किसी नागरिक को योजना के माध्यम से रोजगार लेने का अवसर प्राप्त नहीं होता है तो उन्हें बेरोजगारी भत्ते का लाभ प्रदान किया जायेगा।
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