झारखंड में कृषि किसानों की आय बढ़ाने के लिए कृषि के साथ साथ पशुपालन को भी बढ़ावा दिया जा रहा है. उनके के लिए कई प्रकार की सरकारी योजनाएं लायी जा रही है. झारखंड में दुग्ध उत्पादन को बढ़ावा देने के लिए और किसानों की आय बढ़ाने के लिए साल 2020 में मुख्यमंत्री पशुधन योजना की शुरुआत की गयी थी.
पर पशुधन योजना के तहत मवेशियं के वितरण दिशा-निर्देशों में संशोधन करने का निर्णय लिया गया है. दिशा निर्देशों को संशोधित करने के पीछ जो कारण बताये गये हैं उसके मुताबिक दुग्ध उप्तादकों ने दावा किया है कि पशुधन योजना की नीति में कुछ परशानियों के कारण उन्हें योजना का लाभ बिल्कुल नहीं मिल पाया है |
दुग्ध उत्पादकों ने कमियों की ओर किया था इशारा
राष्ट्रीय दुग्ध उत्पादक दिवस पर आयोजित एक समारोह में राज्य की दूध उत्पादक किसानों ने पशुधन योजना की कमियों की ओर इशारा किया था, देवघर जिले के पलाजोरी ब्लॉक के दूध उत्पादक किसान नीलेश ने कहा था कि इस योजना के तहत 10 फीसदी से कम गायें बेची जाती हैं, क्योंकि किसानों को सूचीबद्ध विक्रेताओं से मवेशी खरीदना महंगा पड़ता है, साथ ही उन्होंने दूध उत्पादक किसान समुदाय का प्रतिनिधित्व करते हुए सरकार से एक समिति गठित करने का आग्रह किया था जिसमें किसानों को शामिल करने की बात कही थी, गौरतलब है कि डेयरी विकास विभाग के पास उपलब्ध आंकड़ों के अनुसार वित्तीय वर्ष 2020-21 में कुल 6,324 दुग्ध उत्पादकों को योजना के तहत मवेशी खरीदने पर सब्सिडी मिली |
50 प्रतिशत अनुदान पर दिया जाता है गाय
मुख्यमंत्री पशुधन योजना के तहत राज्य सरकार द्वारा मवेशियों की कीमत पर 50 प्रतिशत अनुदान दिया जाता है, जबकि बाकी किसानों को भुगतान करना होता है. किसानों ने दावा किया कि चूंकि उन विक्रेताओं की संख्या सीमित है जिनसे मवेशी खरीदे जा सकते हैं, वे अधिक दूध देने वाले मवेशियों को खरीदने या प्रतिस्पर्धी कीमतों को खोजने में असमर्थ हैं. टाइम्स ऑफ इंडिया के मुताबिक झारखंड मिल्क फेडरेशन के एक अधिकारी ने नाम न बताने की शर्त पर कहा, “किसानों की राय है कि यह योजना उनके मुकाबले विक्रेताओं के लाभ के लिए अधिक है.”
आपूर्तिकर्ताओं को सूचीबद्ध करेगा निदेशालय
कृषि विभाग के सचिव, अबूबकर सिद्दीकी ने कहा, “योजना के मुताबिक निदेशालय आपूर्तिकर्ताओं को सूचीबद्ध करेगा और किसान उनमें से किसी से भी खरीदने के लिए स्वतंत्र हैं, साथ ही उन्होंने कहा कि इस पैनल में किसानों का शामिल होना जरूरी है, ताकि विक्रेता किसानों का शोषण नहीं कर सके. डेयरी विकास बोर्ड के निदेशक शशि प्रकाश झा ने कहा, “इस योजना के तहत मवेशियों के कम वितरण के दो मुख्य कारण हैं. सबसे पहले, महामारी को देखते हुए, ‘पशु मेला’ पर प्रतिबंध लगा दिया गया था. दूसरा, वही योजना पहले एक अलग नाम से चलाई जाती थी जहां किसानों को 90% सब्सिडी दी जाती थी. लेकिन मौजूदा योजना के तहत यह 50-50 शेयर है |
समिति गठन करने का निर्णय
मुद्दों को हल करने के लिए, सचिव ने पारदर्शिता और शिकायतों के निवारण को सुनिश्चित करने के लिए दो किसानों – एक दूध उत्पादक और दूसरा पशुपालन में लगे एक समिति का गठन करने का निर्णय लिया है. कृषि सचिव सिद्दीकी ने किसान के चयन की प्रक्रिया के बारे में बताया. उन्होंने कहा, ‘किसान का चयन ग्राम सभा के जरिए होता है, जो बीडीओ को सिफारिश करती है. बीडीओ के माध्यम से यह जिला कमेटी के पास आएगा. अब उपायुक्त की अध्यक्षता वाली समिति अंतिम चयन करेगी |
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