झारखंड के राज्यपाल रमेश बैस ने प्रधानमंत्री की अपील के अनुरूप राज्य के प्रत्येक पंचायत के एक गांव को प्राकृतिक खेती से जोड़ने का आह्वान कृषि वैज्ञानिकों से किया, ताकि रासायनिक खेती से पर्यावरण और मानव स्वास्थ्य को हो रहे नुकसान को न्यूनतम किया जा सके।
राज्यपाल ने वैज्ञानिकों से आह्वान किया:
सभी किसानों को मृदा स्वास्थ्य कार्ड उपलब्ध हो, ताकि वे अपनी भूमि उपलब्ध तत्वों को ध्यान में रखते हुए ही भविष्य में पोषक तत्वों का प्रयोग करें। राज्यपाल ने बीएयू से हर वर्ष कृषि डेटा बैंक प्रकाशित करने की अपील की, जो राज्य के नीति नियामकों, योजनाकारों के लिए विकास संबंधी नीतियां और कार्यक्रम तय करने में आधार का काम करे। कम उपजाऊ भूमि वाले क्षेत्र में उन्होंने कृषि कार्य के साथ-साथ बागवानी, पशुपालन और मछलीपालन अपनाने पर भी जोर दिया। उन्होंने कहा कि झारखंड में 80 प्रतिशत कृषि कार्य महिलाएं करती हैं, इसलिए कृषि संबंधी उनकी समस्याओं, परेशानियों को दूर करने के लिए प्रभावी रणनीतियां वैज्ञानिकों को तैयार करनी चाहिए।
बिरसा कृषि विश्वविद्यालय में भारतीय कृषि विश्वविद्यालय संघ (आइएयूए) का दो दिवसीय 45वां कुलपति अधिवेशन की शुरुआत सोमवार को हुआ। इसमें मुख्य अतिथि राज्यपाल रमेश बैस मौजूद थे। ऑफलाइन एवं ऑनलाइन मोड में लगभग 40 कुलपतियों ने कार्यक्रम में भाग लिया।
विश्वस्तरीय सुविधाएं देने की जरूरत:
बीएयू के कुलपति डॉ ओंकार नाथ सिंह ने कहा कि देश के कृषि विश्वविद्यालयों के कुलपतियों का राष्ट्रीय अधिवेशन बीएयू में तीसरी बार हो रहा है। कृषि विश्वविद्यालयों के बीच समन्वय और सरकारों के साथ लाइजन विकसित करने में संघ की महत्वपूर्ण भूमिका है। कुलपति ने कहा कि विश्वस्तरीय शिक्षा प्रदान करने के लिए उच्च शिक्षण संस्थानों को विश्वस्तरीय सुविधाएं भी प्रदान करनी होंगी और समय पर नियुक्ति, प्रोन्नति आदि सुनिश्चित करनी होगी।
आईसीएआर, नई दिल्ली के उप महानिदेशक (शिक्षा) डॉ आरसी अग्रवाल ने कहा कि हम कृषि शिक्षा की गुणवत्ता और राष्ट्रीय प्राथमिकताओं में उसकी उपयोगिता पर ज्यादा ध्यान देते हैं, प्लेसमेंट पर अपेक्षाकृत कम। इनके अलावा आइएयूए के अध्यक्ष व सरदार वल्लभभाई पटेल कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय, मेरठ के कुलपति डॉ आरके मित्तल और आइएयूए के सचिव व डॉ राजेंद्र प्रसाद केंद्रीय कृषि विश्वविद्यालय, समस्तीपुर, बिहार के कुलपति डॉ आरसी श्रीवास्तव ने विचार रखे।
डॉ राजेंद्र प्रसाद केंद्रीय कृषि विश्वविद्यालय, समस्तीपुर, बिहार के कुलपति डॉ आरसी श्रीवास्तव ने कहा कि राज्य में कृषि विकास की काफी संभावनाएं हैं। इसलिए बीएयू में बड़ी संख्या में रिक्त पदों पर नियुक्ति, करियर एडवांसमेंट स्कीम के तहत प्रोन्नति, शिक्षकों को सातवें वेतनमान का लाभ व कृषि शिक्षा व अनुसंधान के लिए पर्याप्त अनुदान दिलाने के लिए प्रभावी प्रयास करना चाहिए। इससे वैज्ञानिक बाधारहित माहौल में पूरे मनोयोग से काम कर सकेंगे। गोविंद बल्लभ पंत कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय, पंतनगर, उत्तराखंड के कुलपति डॉ एके शुक्ला कहा कि झारखंड के कृषि परिदृश्य में अपेक्षित बदलाव के लिए प्रौद्योगिकी प्रसार तंत्र को सुदृढ करना होगा। किसानों से नियमित अंतराल पर फीडबैक लेते हुए शोध प्रयासों को दिशा देनी होगी। कृषि विश्वविद्यालयों में विद्यार्थियों के लिए सीटें बढ़ाने के साथ-साथ उनके नियोजन के लिए भी अवसर बढ़ाने होंगे और कृषि क्षेत्र में विनियोग बढ़ाना होगा।
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