इसी सत्र में झारखंड में लिंचिंग रोकथाम के मामले में बिल पास कराने की संभावना है।जिसमें कठोर से कठोर सजा देने का प्रावधान हो सकता है।
सूत्रों के माध्यम से मिली जानकारी के अनुसार
एक अधिकारी ने पीटीआई को बताया कि झारखंड (लिंचिंग रोकथाम) विधेयक, 2021 झारखंड विधानसभा के आगामी सत्र में 16 से 22 दिसंबर तक आने की संभावना है।
क्या है लिंचिंग?
जब कभी अनियंत्रित भीड़ के द्वारा किसी दोषी को उसके किये अपराध के लिये या कभी-कभी मात्र अफवाहों के आधार पर ही किसी व्यक्ति को बिना अपराध किये भी तत्काल सज़ा दे दी जाती है। इसका मतलब उसे बिना किसी कानूनी प्रक्रिया के भीड़ द्वारा पीट-पीट कर मार डाला जाए तो इसे भीड़ द्वारा की गई हिंसा या मॉब लिंचिंग (Mob Lynching) कहलाती है।
झारखंड में मोब लांचिंग के मामले
वेबसाइट फैक्टचैकर डॉट इन के डाटा से पता चलता है कि ये घृणा अपराध का ऐसे हजारों मामले है।
डाटा से पता चलता है कि हाल के सालों में भीड़ हिंसा के मामलों में इजाफा हुआ है। साल 2015 के बाद से पशु हत्या और चोरी के कारण भीड़ हिंसा की 121 घटनाएं हुईं। जबकि 2012 से 2014 में ऐसी महज 6 घटनाएं हुईं। 2009 से 2021 के समग्र डाटा से पता चलता है कि 61 पीड़ित मुस्लिम थे और 39 फीसदी घटनाएं कथित पशु चोरी या हत्या से संबंधित थीं। डाटा से पता चलता है कि 66 फीसदी घटनाएं भाजपा शासित राज्यों में हुईं और 16 फीसदी घटनाएं कांग्रेस शासित राज्यों में हुईं।
क्यों होती है ऐसी घटनाएं
- बहुसंख्यक और अल्पसंख्यक समुदाय के बीच अविश्वास की एक गहरी खाई होती है जो कि हमेशा एक-दूसरे को संशय की दृष्टि से देखने के लिये उकसाती है और मौका मिलने पर वे एक-दूसरे से बदला लेने के लिये भीड़ का इस्तेमाल करते हैं।
- समाज में व्याप्त गुस्सा भी इसमें एक उत्प्रेरक का कार्य करता है, चाहे वह गुस्सा किसी भी रूप में हो; यह गुस्सा शासन व्यवस्था, न्याय व्यवस्था या सुरक्षा को लेकर भी हो सकता है जो कि अंततः उन्मादी भीड़ के रूप में बाहर आता है।
- राजनीति भी हिंसात्मक भीड़ का प्रमुख कारण होती है, कभी वोट बैंक के लिये प्रायोजित हिंसा या कभी धर्म के नाम पर करवाई गई हिंसा, राजनीतिक दलों को राजनीति के लिये एक विस्तृत पृष्ठभूमि प्रदान करती है।
मॉब लिंचिंग पर रोक के लिए हमें विशेष कानून की जरूरत क्यों है
- देश में कानून तो पर्याप्त हैं, लेकिन उन कानूनों का ईमानदारीपूर्वक पालन न करने से अपराधों में वृद्धि देखी गई है।
कानूनों का पालन उचित ढंग से नहीं किया जा रहा है। इसी लिए कार्यकारी स्तर पर ही लचरता के कारण इसमें अपेक्षित परिणाम नहीं प्राप्त होता है। - राजनैतिक हस्तक्षेप और अपराधियों को बढ़ावा देने की वर्तमान प्रवृत्ति के कारण इस तरह की घटनाओं में शामिल लोगों का मनोबल बढ़ता है, अतः नए कानून के आने से इन घटनाओं में शामिल लोगों के मन में कानून के डर को स्थापित किया जा सकेगा।
- कानूनों को लागू करने वाले तंत्र में अपेक्षित समर्पण और व्यावसायिक दक्षता की कमी है।
पहले अपराधियों को इस हद तक लाचार कर दिया जाता था की वे दोबारा अपराध के लिये साहस नहीं जुटा पाते थे लेकिन अब प्रशासनिक महकमे में यह कूवत नहीं दिखती। - वर्तमान सामाजिक परिस्थितियों और समय के हिसाब से भी विद्यमान कानूनों में संशोधन या नए कानूनों की आवश्यकता दिखती है।
Article by- Nishat Khatoon
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